दस लाख की क़ीमत : बहू का दर्द, जंगल की रात और वहशी साज़िश!....बाराबंकी की रूह कंपा देने वाली दास्तान
बाराबंकी से एक रूह कंपा देने वाली असली दास्तान
बाराबंकी, अमृत विचार : ..."शादी हुई थी सपनों से, लेकिन ससुराल ने वो सब छीना जो इज़्ज़त और ज़िंदगी कहलाती है..."बाराबंकी की एक युवती की शादी 25 अप्रैल 2024 को गोंडा के प्रदीप शुक्ला से हुई थी। साज-सज्जा, रिश्तेदारों की भीड़ और हाथों में रचती मेंहदी के साथ दुल्हन बनी थी, लेकिन चंद हफ्तों में ही वो दुल्हन 10 लाख के दहेज की बोली बन गई।
दहेज की मांग और तिल-तिल कर जीने की सज़ा : ससुराल वालों को बहू नहीं, एक ATM मशीन चाहिए थी। हर दिन नए ताने, नए जुल्म। जब उसने मना किया, तो उसे घर की चारदीवारी में कैद कर दिया गया। दो जून को तंग आकर वह मायके लौट आई लेकिन उसका दर्द अभी खत्म नहीं हुआ था।
अदालत से लौट रही थी... तभी आई वो काली कार!
23 अप्रैल, तारीख थी। विवाहिता गुज़ारा भत्ते के लिए कोर्ट में पेशी के बाद लौट रही थी, जब डिग्री कॉलेज के पास एक काली कार उसके पास आकर रुकी। उससे पहले कि वह कुछ समझ पाती, जेठ अजय, देवर सन्नू, विकास, अभिषेक और अन्य लोगों ने उसे जबरन कार में ठूंस दिया। इसके बाद कार में बैठे लोगों ने सभ्यता की हर सीमा दी। मुँह पर कपड़ा बांधा गया, धमकाया गया, और उसके साथ दुष्कर्म की कोशिश की गई।
मरा समझकर छोड़ भागे परिजन : जब उसने विरोध किया, तो देवर विकास ने उसके पेट पर लात मारी, जिससे वह खून की उल्टी कर बेहोश हो गई। उसे मरा समझकर वे सभी फरार हो गए। बेहोशी से उठकर वह जैसे-तैसे बची और घर पहुंची। इसके बाद विवाहिता ने थाने में तहरीर दी। कई बार वह थाने भी गई लेकिन FIR तक दर्ज नहीं हुई। आख़िरकार उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया, और कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज किया गया।
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