प्रयागराज में खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं गंगा-यमुना, राहत कार्य तेज
घट रहा जलस्तर, लेकिन पांच दर्जन से अधिक मोहल्ले अब भी जलमग्न; रील बनाना पड़ा भारी, पुलिस ने दी सख्त चेतावनी
प्रयागराज, अमृत विचार : प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर अब गिरना शुरू हो गया है, लेकिन दोनों नदियां अब भी खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं। शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पांच दर्जन से अधिक मोहल्ले और गांव बाढ़ की चपेट में हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने 21 बाढ़ राहत शिविरों की व्यवस्था की है, जहां 9,000 से अधिक लोगों ने शरण ली है। हालांकि कई प्रभावित अब भी अपने घरों में रुके हुए हैं, क्योंकि उन्हें खाली घरों में चोरी का डर सता रहा है। प्रशासन और पुलिस की टीमें राहत पहुंचाने में जुटी हैं। नावों के जरिए खाद्य सामग्री और जरूरी सामान घर-घर पहुंचाया जा रहा है।
एसीपी ने बांटी राहत सामग्री, दी अहम चेतावनी : बुधवार को एडिशनल पुलिस कमिश्नर डॉ. अजय पाल शर्मा ने डीसीपी सिटी अभिषेक भारती के साथ छोटा बघाड़ा क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने राहत सामग्री वितरित की और लोगों को लाउड हेलर के जरिए चेतावनी दी कि बाढ़ के पानी में जानबूझकर उतरना या ‘रील’ बनाना बेहद खतरनाक हो सकता है। एसीपी ने कहाकि, "जान जोखिम में डालकर रील बनाना नासमझी है। यह हादसे को न्योता देना है। लोग बिना नाव व लाइफ जैकेट के पानी में न उतरें,"

चप्पे-चप्पे पर पुलिस की नजर : बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस की पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें लगातार रेस्क्यू अभियान चला रही हैं। प्रशासन ने बताया कि यदि किसी इलाके में किसी को आपात मदद की आवश्यकता है, तो कंट्रोल रूम से संपर्क किया जा सकता है।
लोगों का दर्द: घर छोड़ने का मतलब सामान से हाथ धोना! : प्रभावित क्षेत्रों के लोगों का कहना है कि प्रशासन ने राहत शिविरों की व्यवस्था तो की है, लेकिन घरों में ताले लगाने का कोई फायदा नहीं जब चोरों का डर सिर पर हो। यही कारण है कि कई लोग जोखिम में भी अपने घरों में ही डटे हुए हैं।
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