UP : खतरे के निशान पर पहुंची कोसी नदी, 209 मीटर पहुंचा जलस्तर

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Published By Monis Khan
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दढ़ियाल, लालपुर से 65 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा

रामपुर, अमृत विचार। पहाड़ों और मैदानी क्षेत्रों में हो रही बारिश के चलते कोसी नदी खतरे के निशान के पास बह रही है। इससे निचले इलाकों में बसे गांवों में बाढ़ का संकट बढ़ने लगा है। लगातार जलस्तर बढ़ने से प्रशासन ने नदी के आसपास के गांवों में ऐलान करा दिया है कि वे लोग नदी के करीब न जाएं।

उत्तराखंड के रामनगर बैराज से गुरुवार की सुबह 8 बजे 12176 क्यूसेक पानी कोसी नदी में छोड़ा गया है। वहीं दढ़ियाल बांध से 25000 क्यूसेक और लालपुर वियर से 40545 क्यूसेक पानी कोसी नदी में छोड़ा गया है, जिसके चलते कोसी नदी का जल स्तर बढ़ गया है। खतरे का निशान 209.69 मीटर के सापेक्ष 209 मीटर पर बह रही है। हुसैन गंज बांध से रामगंगा नदी में गुरुवार को 45700 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। हुसैन गंज बांध पर 196.36 मीटर पर खतरे का निशान है। 

जिसके सापेक्ष 195.36 मीटर पर रामगंगा नदी बह रही है। गंगापुर भोपतपुर बांध से रामगंगा नदी में 46600 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। गंगापुर भोपतपुर बांध पर खतरे का निशान 171.80 मीटर पर लगा है और रामगंगा नदी 170.80 मीटर पर बह रही है। प्रशासन ने नदियों का जल स्तर बढ़ने पर आसपास के गांवों में ऐलान करा दिया है। 

ग्रामीणों को हिदायत दी गई है कि नदियों के पास नहीं जाएं। कहा कि पशुओं के चारे के लिए नदियों को पार नहीं करें। इसके अलावा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित बाढ़ चौकियों पर तैनात कर्मचारियों को भी अलर्ट कर दिया गया है। नदियों का जल स्तर बढ़ने पर जिला अधिकारी जोगिन्दर सिंह और पुलिस अधीक्षक विद्यासागर मिश्र ने जायजा लिया। अधिकारियों ने कहा कि घबराने की बात नहीं है स्थिति नियंत्रण में है।

एक्सईएन नहर खंड नवीन कुमार ने बताया कि रामनगर बैराज से कोसी नदी में गुरुवार को भी पानी छोड़ा गया है। जिसके चलते कोसी नदी में जलस्तर बढ़ गया है। स्थिति नियंत्रण में है फिलहाल बाढ़ का कोई अंदेशा नहीं है। 

15000 हेक्टेयर फसलें तबाह हुई
बारिश और नदियों के उफान से नदियों के आसपास की भूमि में बाई गई करीब 15000 हेक्टेयर फसलें तबाह हो गई हैं। पहाड़ों और मैदानी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश से अधिकांश फसलें जलमग्न हो गई हैं। जिन किसानों ने धान की पौध लगाई थी, वह पौध पूरी तरह डूब चुकी है। गन्ना, ज्वार-बाजरा और मक्का की फसल भी जलमग्न है। जिला कृषि अधिकारी कुलदीप सिंह राणा ने बताया कि नदियों की भूमि पर बोई गई फसलों का मुआवजा नहीं मिलता है। कृषि विभाग उन फसलों को काउंट भी नहीं करता है।

घुघा नदी का पुल पानी में डूबा
मसवासी, अमृत विचार: उत्तराखंड की पहाड़ियों पर हो रही जबरदस्त वर्ष से मैदानी क्षेत्रों में भी बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। पानी खेतों तक पहुंच चुका है। इससे किसानों में भय का माहौल है। क्षेत्र की नैया नदी और घूघा नदी में भी जलस्तर उफान पर है। मजरा हसन में संपर्क मार्ग पर बना पुल भी पानी में डूब गया है। पुल के ऊपर लगभग दो फीट पानी बह रहा है। जिससे ग्रामीणों को आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। नदी के पानी से आसपास के खेतों में खड़ी गन्ने और धान की फसलें जलमग्न हो गई है। बढ़ते पानी को लेकर किसानों में हड़कंप मचा हुआ है। लोहड़ी माजरा हसन संपर्क मार्ग पर भी नैय्या नदी का पानी बह रहा है। खानपुर उत्तरी और लोहार इनायत गंज की फसलों में नदी का पानी घुस गया है।

 

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