कांग्रेस का केंद्र से सवाल... सरकार संसद में निर्वाचन आयोग के कामकाज पर चर्चा के लिए तैयार क्यों नहीं
नई दिल्ली। शनिवार को कांग्रेस ने सरकार से सवाल किया कि वह निर्वाचन आयोग के कार्यों पर संसद में बहस के लिए क्यों तैयार नहीं है, जबकि पहले की सरकारों ने दोनों सदनों में इस विषय पर चर्चा की अनुमति दी थी। कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने कई पुरानी घटनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि निर्वाचन आयोग के सुधारों और चुनावों में धन के दुरुपयोग पर पहले भी बहस हो चुकी है। टैगोर ने सवाल उठाया, “संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू निर्वाचन आयोग के कामकाज पर संसदीय चर्चा की अनुमति देने से क्यों हिचक रहे हैं?”
उन्होंने कहा, “यह कोई नई बात नहीं है। संसद ने वर्षों से कई बार निर्वाचन आयोग के आचरण और चुनावी सुधारों पर विचार-विमर्श किया है। आइए, इतिहास को देखें। राज्यसभा में 1957 से ही निर्वाचन आयोग और चुनावी सुधारों पर चर्चा होती रही है, जिसमें शामिल हैं: चुनाव नियमों को निरस्त करना, चुनावों का पुनर्निर्धारण और स्थगन, 1970, 1981, 1986, 1991 और 2015 में चुनाव सुधारों पर बहस, धनबल के उपयोग और कानूनों में संशोधन की तत्काल जरूरत।”
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कांग्रेस नेता ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “लोकसभा में सांसदों ने बार-बार ये मुद्दे उठाए हैं: चुनाव सुधार (1981, 1983, 1986, 1990, 1995, 2005), बिहार और त्रिपुरा में चुनाव स्थगन, फोटो पहचान पत्र जारी करना, धांधली की जांच और विदेशी धन के आरोप।” टैगोर ने बताया कि 1993 में चुनाव स्थगित करने जैसे मुख्य निर्वाचन आयुक्त के महत्वपूर्ण फैसलों पर भी दोनों सदनों में खुलकर चर्चा हुई थी।
उन्होंने कहा कि पहले की सरकारें संसद में जवाब देने से नहीं कतराती थीं। टैगोर ने सवाल किया, “लोकतंत्र अंधेरे में खत्म हो जाता है। अगर संसद हमारी चुनावी संस्था पर चर्चा नहीं कर सकती, तो जवाबदेही कैसे सुनिश्चित होगी?” उन्होंने आगे कहा, “श्री रीजीजू, शाह जी द्वारा चुने गए निर्वाचन आयोग को जांच से बचाना बंद करें। जब पिछली सरकारों ने बिना डर के इन चर्चाओं की अनुमति दी थी, तो आप क्यों नहीं? आप भारत की जनता से क्या छिपाना चाहते हैं?”
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