नवाब की स्पेशल ट्रेन से रामपुर पहुंची थीं बापू की अस्थियां
अंतिम संस्कार होने पर रामपुर किले से दी गई थी 23 तोपों की सलामी
रामपुर, अमृत विचार: नवाब की स्पेशल ट्रेन से 11 फरवरी को सुबह 9 बजे बापू की अस्थियां रामपुर पहुंची थीं। हजारों की संख्या में भीड़ नवाब रेलवे स्टेशन पर मौजूद थी। महात्मा गांधी की अस्थियां फिजिकल कॉलेज स्टेडियम में जनता दर्शन के लिए रखी गईं थीं। नवाब रजा अली खां ने अपनी रियासत में 13 दिन का शोक मनाए जाने का ऐलान कर दिया था। इसके अलावा रियासत के झंडे झुका दिए गए थे। रेलवे स्टेशन से महात्मा गांधी की अस्थियों को एक सजे हुए हाथी पर रखकर शहर में घुमाया गया था।
महात्मा गांधी की कुछ अस्थियां कोसी नदी में प्रवाहित कर दी गईं थी और बची हुई अस्थियों को चांदी के कैप्सूल में रखा गया और अष्टधातु के कलश में रखकर दफ्ना दिया गया था जिसे गांधी समाधि के नाम से जाना जाता है। राजकीय मुद्रणालय से प्रशासनिक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त राम मोहन चतुर्वेदी बताते हैं उनके पिता राधा मोहन चतुर्वेदी रियासत में राज कवि थे। उन्होंने बताया कि पंडित रामचंद्र शास्त्री राज ज्योतिषी थे और शहर के मोहल्ला पीपल टोला में रहते थे। डीआरडीए में कार्यरत पुनीत शर्मा बताते हैं कि उनके परबाबा पंडित राम रतन लाल पाठक रियासत में मुख्य राज ज्योतिषी के पद पर आसीन थे। बताते हैं कि राज कवि राधा मोहन चतुर्वेदी और मुख्य राज ज्योतिष राम रतन लाल पाठक उनके साथ रियासत के उच्च पदों पर तैनात अधिकारी महात्मा गांधी की अस्थियां लेकर चले थे। 2 फरवरी 1948 को महात्मा गांधी का अंतिम संस्कार हुआ तो रामपुर किले से 23 तोपों की सलामी दी गई थी। पुराने लोग बताते हैं कि अस्थियों को लाने के लिए रामपुर से 18 सेर वजनी अष्टधातु का कलश ले जाया गया था। बापू की अस्थियों पर श्रद्धासुमन अर्पित करने आसपास के जिलों से भी लोग रामपुर आए थे।

महात्मा गांधी का रामपुर से था विशेष लगाव
महात्मा गांधी का रामपुर से काफी लगाव था वह दो बार रामपुर आए भी थे। 30 जनवरी 1948 को जब बापू की हत्या की खबर रामपुर पहुंची तो शोक की लहर दौड़ गई। उस वक्त रामपुर रियासत का भारतीय गणराज्य में विलय नहीं हुआ था। 31 जनवरी 1948 को स्याह हाशिये के साथ स्टेट गजट जारी हुआ। दो फरवरी को जब बापू का दिल्ली में अंतिम संस्कार हुआ तो रामपुर के किले से उनको 23 तोप की सलामी दी गई। 10 फरवरी को नवाब रजा अली खां दिल्ली के राजघाट पहुंचे और महात्मा गांधी की चिता वेदी पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके बाद नवाब रजा अली खां ने बापू की अस्थियों को रामपुर ले जाने की इच्छा जताई। पुनीत शर्मा बताते हैं कि उन्हें उनके बाबा ने बताया था कि अस्थियों को लाने के लिए रामपुर से 18 सेर वजनी अष्टधातु का कलश ले जाया गया था। 11 फरवरी को सुबह 9 बजे नवाब की स्पेशल ट्रेन से अस्थि कलश रामपुर लाया गया। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती पर गांधी समाधि पर ध्वजारोहण किया जाता है।
