संभल : गुन्नौर के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में, गंगा खतरे के निशान से ऊपर
एसडीएम ने किया बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा, मदद का दिया आश्वासन
संभल/बबराला, अमृत विचार। गंगा नरोरा बैराज पर अभी खतरे के निशान से 62 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। गंगा के इस उफान की वजह से गुन्नौर तहसील क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में हैँ। फसलें भी पूरी तरह पानी में डूब गई हैं। बाढ़ का पानी लोगों के घरों तक जा पहुंचा है। एसडीएम वंदना मिश्रा ने बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा कर ग्रामीणों को हर संभव मदद का भरोसा दिया।
रविवार देर शाम तक नरोरा बैराज से डाउनस्ट्रीम में 3 लाख 5 हजार क्यूसेक से अधिक जल निकासी जारी रही। जुनावई ब्लॉक के बांध के अंदर बसे गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है। साधुमढ़ी से उदिया नगला मार्ग पर दो फुट पानी होने से लोगों को आवागमन में दिक्कत हो रही है। वहीं, रजपुरा ब्लॉक में चाऊपुर डांडा के बाहरी इलाके के घरों में भी गंगा का पानी भर गया है। राजघाट के समीप गांव फरीदपुर की गोशाला जलमग्न होने से गोवंशीय पशुओं को तटबंध पर रखा गया है। बाढ़ प्रभावित गांवों में बाढ़ का पानी भरने से ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

रविवार को एसडीएम वंदना मिश्रा ने बाढ़ग्रस्त गांवों का दौरा कर लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने का आग्रह किया। वहीं, सिंचाई विभाग की टीम गंगा तटबंध की लगातार निगरानी कर रही है। जहां बांध कमजोर दिख रहा है, वहां मरम्मत कराई जा रही है। तहसीलदार रविन्द्र विक्रम ने बताया कि सभी बाढ़ चौकियां और आपदा प्रबंधन टीम हालात पर निगाह रख रहे हैं। सिंचाई विभाग के एसडीओ अंकित सिंह ने बताया कि नरोरा बैराज से डाउन स्ट्रीम में 3 लाख 5 हजार क्यूसेक पानी की निकासी निरंतर जारी है। हरिद्वार बैराज और बिजनौर मध्य गंगा बैराज से जल निकासी में कमी आई है। जिससे जल्द हालात सामान्य होने की उम्मीद है।

गंगा के उफान से दहशत में ग्रामीण
गंगा में इतना उफान कई साल के बाद देखने को मिला है। इसी वजह से गंगा किनारे बसे गांव के लोग दहशत में हैं। जिन गांव में बाढ़ का पानी पहुंच गया है वहां लोग जागकर रात बिता रहे हैं। गांव की सड़कों पर पानी बह रहा है जबकि कुछ घरों में भी पानी घुस आया है। गांव से बाहर आने जाने वाले रास्तों पर बाढ़ का पानी बह रहा है जिस कारण रास्तों पर आवाजाही संभव नहीं हो पा रही है। इस हालात में बाढ प्रभावित इलाके के ग्रामीण प्रशासन ने मदद और राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
