अजीत डोभाल से मिले चीन के विदेश मंत्री वांग यी, ताइवान, सीमा सुरक्षा जाने किन मुद्दों पर आज हुई चर्चा 

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि भारत-चीन संबंध में सहयोग की ओर लौटने की दिशा में सकारात्मक रुझान दिख रहे हैं। यी ने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को एक-दूसरे को प्रतिद्वंद्वी के रूप में नहीं बल्कि साझेदार के रूप में देखना चाहिए। आधिकारिक मीडिया ने मंगलवार को अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी। 

खबर के अनुसार सोमवार को नयी दिल्ली पहुंचे वांग ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बैठक के दौरान यह टिप्पणी की। उनकी यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की प्रस्तावित यात्रा से पहले हुई है। बैठक में वांग ने जयशंकर से कहा कि चीन-भारत संबंध में सहयोग की ओर लौटने की दिशा में सकारात्मक रुझान दिख रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि इस वर्ष चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के 75 साल पूरे हुए हैं और अतीत से सबक सीखा जा सकता है। उनका यह बयान पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बाद चार साल से अधिक समय में संबंधों में आई दरार की ओर स्पष्ट संकेत था। 

सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ ने बताया कि उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के लिए सही रणनीतिक धारणा रखना, एक-दूसरे को प्रतिद्वंद्वी या खतरे के बजाय साझेदार और अवसर के रूप में देखना तथा विकास एवं पुनरुद्धार में अपने बहुमूल्य संसाधनों का निवेश करना अनिवार्य है। उ

न्होंने कहा कि दोनों देशों को प्रमुख पड़ोसी देशों के लिए आपसी सम्मान और विश्वास के साथ सह-अस्तित्व, साझा विकास और अनुकूल सहयोग हासिल करने के सही तरीके तलाशने चाहिए। वांग ने कहा कि चीन मैत्री, ईमानदारी, परस्पर लाभ और समावेशिता के सिद्धांतों को कायम रखने और भारत सहित पड़ोसी देशों के साथ मिलकर एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित, समृद्ध, खूबसूरत और मैत्रीपूर्ण क्षेत्र बनाने के लिए काम करने को तैयार है। 

उन्होंने कहा कि दोनों देशों को भरोसा करना चाहिए, एक दिशा में आगे बढ़ना चाहिए, बाधाओं को दूर करना चाहिए, सहयोग का विस्तार करना चाहिए। खबर के अनुसार, वांग और जयशंकर के बीच बातचीत के बाद दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने पर सहमत हुए। अमेरिका की परोक्ष रूप से आलोचना करते हुए वांग ने कहा कि दुनिया बदल रही है और एकतरफा धमकाने की प्रथा बढ़ गई है, जिससे स्थिति तेजी से बदल रही है। 

भारत चीन संबंधों में सुधार से आगे बढ़ने में मिली मदद

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा है कि भारत और चीन के शीर्ष नेतृत्व के बीच पिछले वर्ष हुई बातचीत के बाद से आपसी संबंध मजबूत हुए हैं और इससे दोनों देशों को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिली है। श्री डोभाल ने भारत यात्रा पर आये चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ मंगलवार को यहां विशिष्ट प्रतिनिधि स्तर की 24वें दौर की बैठक से पहले अपने प्रारंभिक वक्तव्य में श्री वांग और उनके साथ आये शिष्टमंडल का स्वागत करते हुए कहा कि पिछले नौ महीनों में सीमाओं पर शांति और सौहार्द के कारण संबंध और भी मजबूत हुए हैं। 

उन्होंने कहा ,“ पिछले नौ महीनों में एक सकारात्मक रुझान देखने को मिला है। सीमाएँ शांत रही हैं। शांति और सौहार्द कायम रहा है। हमारे द्विपक्षीय संबंध और भी मज़बूत हुए हैं। हम अपने नेताओं के प्रति अत्यंत आभारी हैं, जिन्होंने गत अक्टूबर में कज़ान में एक नई दिशा स्थापित की, और तब से हमें बहुत लाभ हुआ है। जो नया माहौल बना है, उसने हमें उन विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने में मदद की है जिन पर हम काम कर रहे हैं।”

विशिष्ट प्रतिनिधि स्तर की इस वार्ता के सफल रहने की उम्मीद जताते हुए उन्होंंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जल्द ही चीन की यात्रा पर जायेंगे और ऐसे में यह वार्ता और भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा, “मुझे पूरी उम्मीद है कि पिछली वार्ता की तरह, यह 24वीं विशिष्ट प्रतिनिधि स्तर की वार्ता भी उतनी ही सफल होगी।

हमारे प्रधानमंत्री जल्द ही एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन जायेंगे और इसलिए, मुझे लगता है कि ये विशिष्ट प्रतिनिधि स्तर की वार्ताएँ बहुत महत्वपूर्ण हैं।” श्री डोभाल ने दोनों देशोंं के राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होेने का भी उल्लेख किया और कहा कि इस पड़ाव पर भारत और चीन के संबंधों में घनिष्ठता आयेगी। विदित हो कि भारत यात्रा पर आये श्री वांग ने सोमवार को विदेश मंत्री डॉ़ एस़ जयशंकर के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी।

 SCO शिखर सम्मेलन के लिए चीन जाएंगे प्रधानमंत्री मोदी

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने मंगलवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ वार्ता के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के आगामी शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन जाएंगे। सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता के नये संस्करण में टेलीविजन पर दिये अपने संबोधन में डोभाल ने भारत-चीन संबंधों में ‘‘नयी ऊर्जा और गति’’ के साथ-साथ सीमा पर शांति के महत्व को भी रेखांकित किया। 

डोभाल ने कहा कि सीमा पर शांति और सौहार्द बना हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध अब और प्रगाढ़ हुए हैं।’’ एनएसए ने कहा, ‘‘हमारे प्रधानमंत्री एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए चीन का दौरा करेंगे और इसलिए आज की वार्ता का विशेष महत्व है।’’ यह 31 अगस्त और एक सितंबर को शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मोदी की चीनी शहर तियानजिन यात्रा की पहली आधिकारिक पुष्टि है। 

डोभाल ने आशा जताई कि 24वीं विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता ‘‘सफल’’ रहेगी। चीन के विदेश मंत्री मुख्य रूप से डोभाल के साथ विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता करने के लिए सोमवार को दिल्ली पहुंचे। वांग की यात्रा को दोनों पड़ोसी देशों द्वारा अपने संबंधों को फिर से बहाल करने के जारी प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है, जिनमें 2020 में गलवान घाटी झड़प के बाद गंभीर तनाव आ गए थे। 

विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता में, दोनों पक्षों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर समग्र स्थिति की समीक्षा के अलावा नये विश्वास-बहाली उपायों पर विचार-विमर्श किए जाने की उम्मीद है। हालांकि, दोनों पक्षों ने टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को हटा लिया है, लेकिन सीमा से अग्रिम पंक्ति के सैनिकों को वापस बुलाकर स्थिति को सामान्य किया जाना अभी बाकी है। 

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में एलएसी पर वर्तमान में दोनों देशों के लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं। एनएसए डोभाल ने पिछले साल दिसंबर में चीन की यात्रा की थी और वांग के साथ विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता की थी। इससे कुछ हफ्ते पहले प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने रूसी शहर कजान में एक बैठक के दौरान दोनों पक्षों के बीच विभिन्न संवाद तंत्रों को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया था। 

पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था और उसी वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई झड़प के परिणामस्वरूप द्विपक्षीय संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया था। गत वर्ष 21 अक्टूबर को हुए एक समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह गतिरोध प्रभावी रूप से समाप्त हो गया। पिछले कुछ महीनों में, दोनों पक्षों ने संबंधों को बहाल करने के लिए कई पहल की हैं, जिनमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करना और भारत द्वारा चीनी नागरिकों को पर्यटक वीजा जारी करना शामिल है। 

ताइवान पर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं

भारत ने कहा है कि ताइवान को लेकर उसके पहले के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। चीन के विदेश मंत्रालय के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सोमवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान यह माना कि ताइवान चीन का हिस्सा है। 

सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि इन मीडिया रिपोर्ट में किया गया दावा गलत है। उन्होंने कहा कि भारत के ताइवान के साथ रिश्ते आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक संबंधों पर केंद्रित है। सूत्रों ने कहा, “ताइवान पर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। हमने इस बात पर ज़ोर दिया कि दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह, भारत का ताइवान के साथ आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक संबंधों पर केंद्रित रिश्ता है। हम इसे जारी रखने का इरादा रखते हैं।”

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