लोकतंत्र में सार्थक बहस और चर्चा की महत्वपूर्ण भूमिका, बोले अमित शाह- सदन में विपक्ष को संयम से लेना चाहिए काम

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को एक स्वस्थ लोकतंत्र में सार्थक बहस और चर्चा की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर देते हुए कहा कि जनता की चिंताओं के समाधान के लिए विचार-विमर्श सबसे अच्छा माध्यम है। दिल्ली विधानसभा में आयोजित ' ऑल इंडिया स्पीकर्स कांफ्रेंस' कार्यक्रम में बोलते हुए शाह ने कहा, "अगर संसद या विधानसभाओं में बहस नहीं होगी, तो ये इमारतें बेजान हो जाएंगी।" 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सदन के अध्यक्ष के नेतृत्व में और सभी सदस्यों की सक्रिय भागीदारी से, ये संस्थाएं जीवंत बनती हैं और राष्ट्र तथा राज्यों के हितों की सेवा करने में सक्षम बनती हैं। उन्होंने संसदीय विपक्ष में संयम बरतने का भी आह्वान करते हुए कहा कि लोकतंत्र में प्रतीकात्मक विरोध का अपना स्थान है, लेकिन विरोध के नाम पर पूरे सत्र को बाधित करने की बढ़ती प्रवृत्ति चिंता का विषय है। 

शाह ने कहा, "सदन में विपक्ष को संयम से काम लेना चाहिए। प्रतीकात्मक विरोध का भी अपना स्थान है, लेकिन विरोध के बहाने पूरे सत्र को बाधित करने की परंपरा बनाना नागरिकों और उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए चिंतन का विषय है। क्योंकि जब चर्चा समाप्त हो जाती है, तो राष्ट्रीय विकास में सदन का योगदान न्यूनतम हो जाता है।" 
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि बहस रचनात्मक संवाद के माध्यम से होनी चाहिए, न कि राजनीतिक लाभ के लिए कार्यवाही में बाधा डालकर। उन्होंने कहा, "जब राजनीतिक स्वार्थों के कारण संसद और विधानसभाओं को चलने से रोका जाता है, तो वास्तविक बहस नहीं हो पाती।"

केंद्रीय गृहमंत्री ने भी केंद्रीय विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष विट्ठलभाई पटेल के योगदान की प्रशंसा की और भारत की विधायी परंपराओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं को आकार देने में उनकी अनुकरणीय भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, "विधानसभा अध्यक्ष का पद अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस पद की गरिमा की रक्षा और उसे बढ़ाना अध्यक्ष का दायित्व है, और विट्ठलभाई पटेल ने इस कर्तव्य का बखूबी निर्वहन किया।" 

उन्होंने कहा कि "देश के लिए स्वतंत्रता प्राप्त करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि स्वतंत्रता के बाद देश को लोकतांत्रिक तरीके से चलाना। और यह वीर विट्ठलभाई पटेल ही थे जिन्होंने भारतीय विचारधारा के आधार पर लोकतांत्रिक तरीकों से राष्ट्र चलाने की नींव रखी।" 

इसी सदन से भारतीय जनता की आकांक्षाओं को आवाज़ देने वाले कई भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं का उल्लेख करते हुए, श्री शाह ने कहा, "महामना मदन मोहन मालवीय से लेकर गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपत राय और देशबंधु चित्तरंजन दास तक, कई महान हस्तियों ने इस सदन में अपने भाषणों के माध्यम से भारत की स्वतंत्रता की कामना को आवाज़ दी।" 

शाह ने इस विरासत को संरक्षित करने के लिए, दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि "इन महान हस्तियों के इस सदन में दिए गए सभी भाषणों को संकलित करें और उन्हें देश भर की सभी राज्य विधानसभाओं के पुस्तकालयों में उपलब्ध कराएँ। इससे आज के युवाओं और विधायकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि इसी सदन में स्वतंत्रता की भावना कैसे प्रज्वलित हुई।" 

देश की लोकतांत्रिक यात्रा में गुजरात के योगदान का उल्लेख करते हुए, श्री शाह ने कहा, "जब हम विट्ठलभाई पटेल की बात करते हैं, तो हम गुजरात के लोग गर्व से कहते हैं कि इस राज्य ने देश को दो महान व्यक्ति दिए हैं। पहले, सरदार पटेल, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में गांधीजी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया, और दूसरे, विट्ठलभाई पटेल, जिन्होंने भारत की विधायी परंपराओं की नींव रखी।" 

गृह मंत्री ने स्वतंत्रता और शासन की दोहरी जिम्मेदारी पर भी ज़ोर देते हुए कहा, "स्वतंत्रता प्राप्त करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि स्वतंत्रता के बाद देश को लोकतांत्रिक तरीके से चलाना। और यह वीर विट्ठलभाई पटेल ही थे जिन्होंने भारतीय विचारों में आस्था रखते हुए, लोकतांत्रिक तरीकों से देश चलाने की नींव रखी।" इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन श्री विट्ठलभाई पटेल की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में किया गया है।  

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