फिजी में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और जन औषधि केन्द्र खोलेगा भारत, पीएम राबुका से चर्चा के बाद बोले PM मोदी

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत और फिजी के बीच संबंधों को परस्पर विश्वास और सम्मान पर आधारित बताते हुए कहा है कि भारत ने फिजी के स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत बनाने के लिए उसकी राजधानी सुवा में 100 बैड का सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाने, डायलिसिस यूनिट बनाने, एम्बुलेंस भेजने तथा जन औषधि केन्द्र खोलने की घोषणा की है जिससे कि वहां के लोगों को सस्ती दवा मिल सकें। 

दोनों देशों ने रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग को मजबूत बनाने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने पर भी सहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि दोनों देश इस बात पर एकमत हैं कि आतंकवाद पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। खेलों के क्षेत्र में भी सहयोग को बढाते हुए अब भारतीय कोच फिजी क्रिकेट टीम को प्रशिक्षित करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को यहां फिजी के प्रधानमंत्री सिटीवेनी राबुका के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद संयुक्त वक्तव्य में कहा कि स्वस्थ राष्ट्र ही समृद्ध राष्ट्र हो सकता है इसलिए हमने फिजी को स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग करने का निर्णय लिया है। 

उन्होंने कहा,“ हमने तय किया कि ‘सुवा’ में 100- bed सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाया जायेगा। डायलिसिस यूनिट और सी एम्बुलेंस भेजीं जाएँगी। और, जन औषधि केंद्रखोले जायेंगे, जिससे सस्ती और उत्तम गुणवत्ता की दवा हर घर तक पहुंचेगी। हम चाहते हैं कि सपनों की दौड़ में किसी के कदम रुके नहीं,इसलिए, फिजी में ‘जयपुर फुट’ कैंप भी लगाया जाएगा।”

पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग को मजबूत करने का भी निर्णय लिया है। इसके लिए एक कार्य योजना तैयार की गयी है । फिजी की समुद्री सुरक्षा को सशक्त करने के लिए भारत से प्रशिक्षण और उपकरण में सहयोग दिया जाएगा।

 उन्होंने कहा कि दोनों देश साइबर साइबर सुरक्षा और डेटा संरक्षण के क्षेत्रों में अपने अनुभव साझा करने के लिए तैयार हैं। श्री मोदी ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में भारत से गए लोबिया के बीज फिजी की मिट्टी में बहुत ही अच्छी तरह अंकुरित हो रही हैं। भारत अब 12 एग्री-ड्रोन और दो मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशाला भी भंटे करेगा। 

उन्होंने कहा कि भारतीय घी को फिजी में स्वीकृति देने के लिए भारत फिजी सरकार के प्रति आभार प्रकट करता है। उन्होंने कहा कि दोनों देश इस बात पर एकमत हैं कि आतंकवाद पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में सहयोग और समर्थन के लिए हम प्रधानमंत्री रम्बुका और फिजी सरकार का आभार व्यक्त करते हैं ।  

मोदी ने कहा कि वर्ष 2014 में उन्होंने फिजी यात्रा के दौरान फोरम फॉर इंडिया पेसिफिक आइलैंड कोपरेशन यानि ‘फिपिक’ की शुरुआत की थी। उस पहल ने न केवल भारत–फिजी रिश्तों को, बल्कि पूरे पैसिफिक क्षेत्र के साथ हमारे जुड़ाव को नई ताकत दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमन्त्री रम्बुकाजी की इस यात्रा से आपसी संबंधों में एक नया अध्याय जुड़ा है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और फिजी के बीच आत्मीयता का गहरा नाता है। उन्नीसवीं सदी में, भारत से गए साठ हजार से अधिक गिरमिटिया भाई–बहनों ने अपने परिश्रम और पसीने से फिजी की समृधि में योगदान दिया है। उन्होंने फिजी की सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता में नए रंग भरे हैं। फिजी की एकता और अखंडता कोनिरंतर मजबूती प्रदान की है। 

मोदी ने कहा , “इस सब के बीच, वे अपनी जड़ों से भी जुड़े रहे। अपनी संस्कृति को संजोये रखा। फिजी की रामायण मंडली की परंपरा इसी का जीवंत प्रमाण है। प्रधानमंत्री रम्बुका द्वारा‘गिरमिट डे’की घोषणा का मैं अभिनन्दन करता हूँ । ये हमारे साझा इतिहास का सम्मान है। हमारी पिछली पीढ़ियों की स्मृतियों को श्रद्धांजलि है।”

पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देशों ने भाषा से लेकर संस्कृति तक के क्षेत्र में रिश्तों को मजबूत बनाने का निर्णय लिया है । उन्होंने कहा कि फिजी यूनिवर्सिटी में हिंदी और संस्कृत पढ़ाने के लिए भारतीय शिक्षक भेजा जायेगा और फिजी के पंडित भारत आकर प्रशिक्षण लेंगे तथा गीता महोत्सव में भी भाग लेंगे। 

जलवायु परिवर्तन को फिजी के लिए गंभीरत खतरा बताते हुए उन्होंने कहा, “जलवायु परिवर्तन फिजी के लिए बड़ा खतरा है। इस संदर्भ में हम नवीकरणीय ऊर्जा , खासकर सौर ऊर्जा में साथ मिलकर काम कर रहे हैं । इंटरनेशनल सोलर अलायन्स, काेएलिशन फॉपर डिजास्टर रेजिलियेंट इन्फ्रास्ट्रक्चार और ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायन्स में हम एक साथ हैं। अब हम डिजास्टर रेस्पांस में भी फिजी की क्षमताओं को बढ़ाने में सहयोग देंगे।”

पीएम मोदी ने फिजी के भारत की हिन्द प्रशांत महासागर पहल में शामिल होने का स्वागत करते हुए कहा , “प्रशांत द्वीप देशों से सहयोग में हम फिजी को एक हब के रूप में देखते हैं। हम दोनों मुक्त , खुले, समावेशी, सुरक्षित, और समृद्ध इंडो-पैसिफिक का समर्थन करते हैं। प्रधानमंत्री जी की ‘शांति के सागर’ एक बहुत ही सकारात्मक सोच है। भारत की हिन्द प्रशांत महासागर पहलसे जुड़ने के लिए हम फिजी का स्वागत करते हैं।” 

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और फिजी के बीच भले ही विशाल महासागर हों लेकिन हमारी आकांक्षाएं एक ही नाव में सवार हैं। उन्होंने कहा , “ हम ग्लोबल साउथ के विकास यात्रा में भी सहयात्री हैं। हम एक ऐसी विश्व व्यवस्था के निर्माण में भागीदार हैं, जहाँ ग्लोबर साउथ की स्वतंत्रता, विचार और पहचान को सम्मान मिले। हमारा मानना है कि किसी भी आवाज़ को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए और किसी भी देश को पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए!”

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