उत्तर प्रदेश में पूजा पाल मामले को लेकर सियासती खींचतान जारी

Amrit Vichar Network
Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश में विधायक पूजा पाल मामले को लेकर सियासती खींचतान जारी है। इसी खींचतान के बीच सपा से निष्कासित पूजा पाल को लेकर भाजपा या बसपा के पाले में जाने की कयासबाजी तेज है। फिलहाल सपा और भाजपा दोनों दलों के लिए पूजा राजनीतिक मोहरा बनीं हैं। भाजपा इसे मुद्दा बनाकर जहां सपा के पीडीए की हवा निकालने में जुटी है तो वहीं सपा का तर्क है कि भाजपा ने पूजा पाल को हमारे खिलाफ दुष्प्रचार का मोहरा बना लिया है।

दरअसल, विधायक पूजा पाल को अचानक सपा से निष्कासित करने के बाद सियासत गर्मायी हुई है। बीते दिनों पूजा पाल सपा से अपनी जान का खतरा बताकर इसे और धार दे दिया। जवाब में सपा प्रमुख अखिलेश यादव को प्रतिक्रिया देनी पड़ी कि अगर भाजपा वाले उन्हें मार देंगे तो जेल हम चले जाएंगे। अखिलेश ने अपने मंतव्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि भाजपा पूजा पाल को मोहरा बनाकर सपा के खिलाफ दुष्प्रचार करवा रही है। यह भी कहा कि अब इस मामले में केंद्रीय गृहमंत्री को जांच करानी चाहिए। वहीं, सपा प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल ने इस संबंध में भारत सरकार को पत्र भी भेज दिया। पत्र में मांग की गई है आखिर कौन किसकी जान ले सकता है, इसकी जांच होनी चाहिए।

इधर, भाजपा की ओर से उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का कहना है कि विधायक पूजा पाल के साथ किए व्यवहार का खामियाजा सपा को भुगतना ही पड़ेगा। उनके मुताबिक, सपा ने अपने इस आचरण से दिखा दिया कि उनकी नजर में बहू-बेटियों और अति पिछड़ों के लिए कोई सम्मान नहीं है। भाजपा के अन्य नेता भी पूजा प्रकरण में सपा को निशाने पर लिए हुए हैं।

मालूम हो कि पहले बसपा से पूजा पाल विधायक बनी थीं, बाद में वह सपा में शामिल हो गईं थीं। लेकिन 2024 के राज्यसभा चुनाव में उनको सपा ने क्रॉसवोट करने वाले विधायक के रूप में चिन्हित किया। हाल ही में सपा ने पूजा पाल को पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए निष्कासित भी कर दिया। पूरे प्रकरण पर राजनीतिक समीक्षकों का अपना-अपना नजरिया है। समीक्षकों का तर्क है कि राजू पाल हत्याकांड के बाद सहानुभूति की जो लहर पूजा पाल के साथ सपा में गई थी, अब उसे भाजपा में लाने की तैयारी है। इसीलिए भाजपा अब सपा के पीडीए को ढकोसला करार देने में जुटी है। समीक्षकों का यह भी मानना है कि पूजा पाल को निष्कासित करने में सपा ने मौका गलत चुना। अब समय ही बताएगा कि पूजा पाल मामला किस दल को सियासी लाभ पहुंचाएगा।

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