'सुरमा बरेली वाला, आंखों का है रखवाला', हाशमी परिवार ने की थी बरेली में सुरमा बनाने से लेकर बिकने की शुरूआत
‘बरेली का सुरमा’ किसी पहचान का मोहताज नहीं है। यह इस शहर का रिवाज और संस्कृति जैसा है, इसके चलते जो कोई बरेली आया, सुरमा साथ लेकर जरूर गया। यहां हाशमी परिवार से शुरू हुआ सुरमा बनाने का कारोबार अब पांचवी पीढ़ी संभाल रही है।
बरेली में सुरमा लोगों को रेलवे स्टेशनों से लेकर बस अड्डों, बाजारों, गली-मोहल्लों की दुकानों तक पर आसानी से मिल जाता है। बड़ा बाजार, किला रोड, कुतुबखाना, पुराना शहर, सेटेलाइट हर कहीं सुरमा बिकता है। आला हजरत के उर्स में आने वाले देश-विदेश के जायरीन भी बरेली की निशानी के तौर पर सुरमा खरीदकर ले जाते हैं।
बरेली के सुरमा को ब्रांड बनाने वाले एम हसीन हाशमी का चार साल पहले निधन हो चुका है। एम हसीन हाशमी बरेली में सुरमा कारोबार को आगे बढ़ाने वाले हाशमी परिवार की चौथी पीढ़ी के सदस्य थे। उन्होंने 1971 में कारोबार संभालने के बाद इसे देश-विदेश तक शोहरत दिलाई। अब उनके बेटे हाजी शावेज हाशमी सुरमा का काम संभाल रहे हैं।
बड़ा बाजार में सुरमा बेचने वाले व्यापारी मोहम्मद शमा हाशमी ने बताया कि सुरमा लगाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और सफाई भी हो जाती है। उनके पास दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू समेत देश के कई हिस्सों से सुरमा की मांग आती है।- आसिफ अंसारी, बरेली
