दो लाख शिक्षकों की नौकरियों पर खतरा, सरकार ढूंढ रही विकल्प... सरकार ने शिक्षा विभाग को व्यावहारिक कार्ययोजना बनाने के दिए निर्देश

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश से टीईटी व्यवस्था के पहले से नियुक्त शिक्षकों की नौकरी पर खतरा

लखनऊ, अमृत विचार: प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में कार्यरत करीब 2 लाख शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक रही है। कारण बना है सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) उत्तीर्ण किए बिना कोई भी शिक्षक पात्र नहीं माना जा सकता। ऐसे में योगी सरकार ने शिक्षक संगठनों की चिंता के मद्देनजर शिक्षा विभाग को व्यावहारिक कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला देशभर के कक्षा 1 से 8 तक परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के लिए है। दरअसल, 2 अगस्त 2010 को एनसीटीई ने गाइडलाइन जारी की थी। उसमें स्पष्ट किया गया था कि जो शिक्षक पहले से कार्यरत हैं या जिनकी भर्ती प्रक्रिया पहले से चल रही है, उन पर यह परीक्षा लागू नहीं होगी। लेकिन 3 अगस्त 2017 को केंद्र सरकार ने नया नियम जारी कर दिया और सभी राज्यों को जानकारी दी कि 2019 तक हर शिक्षक को टीईटी पास करना होगा।

इसके विरोध में कुछ शिक्षक सुप्रीम कोर्ट चले गए। इसी क्रम में 1 सितंबर 2025 को कोर्ट ने सभी शिक्षकों को दो साल में टीईटी परीक्षा पास करने का फैसला दिया है। इससे शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है। यूपी में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में कुल शिक्षकों की संख्या 3 लाख 38 हजार 590 है, जबकि उच्च प्राथमिक में 1 लाख 20 हजार 860 हैं यानी कुल शिक्षक 4 लाख 59 हजार 450 हैं, लेकिन निकाय, निजी, समाज कल्याण विभाग से संबद्ध आदि स्कूलों को मिलाकर संख्या दोगुनी तक पहुंच जाती है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि करीब 1.80 लाख से 2 लाख शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रभावित हो रहे हैं।

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई है। संघ ने सीधे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजते हुए अपील की है कि सेवारत शिक्षकों को टीईटी अनिवार्यता से छूट दी जाए और सरकार वार्ता के लिए आगे आए। कई अनुभवी अध्यापकों ने भी दो-दो दशकों से सेवा देने के बाद अचानक परीक्षा बाध्य करने के फैसले पर आपत्ति जताई है। कई जगह विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।

सरकार की कार्रवाई पर टिकी निगाहें

सरकार के लिए परिस्थिति सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक और मानवीय स्तर पर भी संवेदनशील है। ऐसे में सरकार को कोर्ट का फैसला और शिक्षकों के साथ भी न्यायोचित कदम उठाने की चुनौती है। लाखों शिक्षकों और परिवारों का भविष्य दांव पर है। सभी की नजरें अब राज्य सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

शिक्षा विभाग को कार्ययोजना बनाने के निर्देश

सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करा रही है। मामले को गंभीरता से लेते हुए बेसिक शिक्षा विभाग से ऐसे सभी शिक्षकों की विस्तृत सूची मांगी है, जो टीईटी नहीं पास कर सके हैं। इसके साथ ही निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे शिक्षकों को अब टीईटी पास कराने की व्यावहारिक योजना बनाई जाए, ताकि उनकी सेवाएं बचाई जा सकें।

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