छठ महापर्व की धूमधाम: डूबतें सूर्य को व्रती महिलाओं ने दिया अर्ध्य, पूरे विधि-विधान से छठमाता की आराधना

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Published By Anjali Singh
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जौनपुर। उत्तर प्रदेश के जौनपुर में पुत्र प्राप्ति, समृद्धि एवं मंगलकामना के पर्व छठ पर सोमवार की शाम आदि गंगा गोमती के प्रतिमा विसर्जन घाट, हनुमान घाट, बजरंग घाट, गोपी घाट सहित विभिन्न घाटों पर डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब व जलाशयों में भी सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया। दोपहर से ही छठ व्रतियों एवं दर्शनार्थियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। 

बड़ी संख्या में छठव्रती अपने पूरे परिवार एवं गाजे-बाजे के साथ घाटों पर पहुंच कर शाम को पूरे विधि-विधान से सूर्य देव की आराधना की गई। जिलाधिकारी डॉ दिनेश चंद्र और पुलिस अधीक्षक डॉ कौस्तुभ ने नाव पर बैठकर पूरे मेले की व्यवस्था को देखा। छठव्रतियों ने डूबते सूर्य एवं छठमाता की आराधना की। इस दौरान आतिशबाजियां और गाजे-बाजे से माहौल रंगीन रहा, घाटों पर भीड़ कुछ ज्यादा ही दिखी। 

प्रसाद की वस्तुओं से भरे बांस से बने सूप और टोकरियों को घाट पर ले जाया जाता है जहां सूर्य देव और छठी मैय्या को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन भक्त न कुछ खाते हैं और न ही जल पीते हैं। निर्जला व्रत छठ के चौथे या अंतिम दिन के सूर्याेदय तक जारी रहता है जब सूर्य भगवान और छठी मैय्या को उषा अर्घ्य दिया जाता है। छठ के अंतिम दिन अर्घ्य के बाद, बांस की टोकरियों से प्रसाद पहले व्रतियों द्वारा खाया जाता है और फिर परिवार के सभी सदस्यों और व्रतियों के साथ वितरित किया जाता है। 

छठ पूजा के चार दिवसीय त्योहार के तीसरे दिन, डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसे संध्या अर्घ्य या पहला अर्घ्य के रूप में जाना जाता है। छठ प्रसाद को तैयार करने के लिए एक खास तैयारी की जाती है, जो त्योहार के तीसरे दिन से शुरू होने वाले त्योहार में बहुत महत्व रखता है। व्रती और उनके परिवार के सदस्य दिन में जल्दी स्नान करते हैं और प्रसाद रखने के लिए बांस के नए सूप और टोकरियां खरीदते हैं। 

चावल, गन्ना, ठेकुआ,पकवान, ताजे फल, सूखे मेवे, पेड़ा, मिठाई, गेहूं, गुड़, मेवा, नारियल, घी, मखाना, नींबू, सेब, संतरा, इलायची, हरी अदरक और सूप में तरह-तरह के सात्विक खाद्य पदार्थ रखे जाते हैं। जनसैलाब को देखकर यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता था कि अब अपने शहर में छठ मनाना ज्यादा पसंद करने लगे हैं। 

गौरतलब है कि 28 अक्टूबर मंगलवार को तड़के भी उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने छठव्रती तड़के ही घाट पहुंचने लगेंगे। इसके बाद मंगलवार को फिर घाटों में लोगों की भीड़ लगेगी। इस दौरान उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद 36 घंटे का कठिन व्रत टूटेगा।

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