कोर्ट इंतजार करती रही, नहीं आई फाइल...अधिकारियों को जारी किया कारण बताओ नोटिस, 10 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
लखनऊ, अमृत विचार: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट की फाइल समय से न भेजे जाने पर गंभीर नाराजगी जताई है। न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति राजीव भारती की खंडपीठ ने इस प्रकरण में संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है और वरिष्ठ रजिस्ट्रार को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मामला मंगलवार को प्रथम वरीयता के रूप में सूचीबद्ध था और सुबह साढ़े दस बजे सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया था। बेंच सचिव को निर्देशित किया गया था कि व्यक्तिगत उपस्थिति से संबंधित फाइलें पूर्व संध्या को पीठ के सदस्यों के आवास पर भेजी जाएं। लेकिन संबंधित अनुभाग द्वारा फाइल समय से न भेजे जाने के कारण ऐसा नहीं हो सका। आदेश में आगे कहा गया है कि बेंच सचिव ने कोर्ट को अवगत कराया कि कई बार टेलीफोन से अनुरोध किए जाने के बावजूद फाइल न तो पिछले दिन शाम को भेजी गई और न ही सुबह कोर्ट में पहुंचाई गई। यहां तक कि अनुभाग अधिकारी को तलब करने पर भी वे कोर्ट नहीं पहुंचे। बेंच सचिव ने संयुक्त रजिस्ट्रार, उप रजिस्ट्रार और सहायक रजिस्ट्रार से भी संपर्क किया, परंतु इसके बावजूद फाइल कोर्ट तक नहीं पहुंच सकी। वरिष्ठ रजिस्ट्रार को भी इसकी सूचना दी गई, जिनके कार्यालय से बताया गया कि फाइल रास्ते में है, परंतु पांच मिनट तक प्रतीक्षा के बाद भी फाइल नहीं आई।
कोर्ट ने आगे कहा कि मामले में एलडीए वीसी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित थे। लेकिन मामले की सुनवाई नहीं हो सकी। कोर्ट ने वरिष्ठ रजिस्ट्रार को तलब किया और उनसे पूछा कि संयुक्त रजिस्ट्रार, उप रजिस्ट्रार और सहायक रजिस्ट्रार कहां हैं? तो बताया गया कि वे अभी तक कार्यालय नहीं पहुंचे हैं और रास्ते में हैं। जबकि उस समय कोर्ट की कार्यवाही प्रारंभ हो चुकी थी। कोर्ट ने इसे अत्यंत गंभीर लापरवाही बताया और निर्देश दिया कि वरिष्ठ रजिस्ट्रार पूरे मामले की जांच कर अगली तिथि तक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। पीठ ने कहा कि यह मामला 2016 से लंबित ध्वस्तीकरण आदेशों से संबंधित है और इसमें एलडीए अधिकारियों की मिलीभगत के गंभीर आरोप हैं। कोर्ट ने संबंधित सभी अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई 10 नवम्बर 2025 को तय की है।
