राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूरे, मनाया गया उत्सव, सीतापुर रोड स्थित सेंट जोसेफ स्कूल में हुआ सामूहिक वंदे मातरम् गायन
8 से 15 तक निकाली जाएंगी तिरंगा यात्राएं, प्रभात फेरियां और बाइक रैलियां
लखनऊ, अमृत विचार: राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूरे देश में उत्सव मनाने का निर्णय लिया है। इस दौरान तिरंगा यात्राएं, प्रभात फेरियां और बाइक रैलियां भी निकाली गई।
भाजपा लखनऊ महानगर की ओर से सात नवंबर को सीतापुर रोड स्थित सेंट जोसेफ स्कूल में सुबह 10 बजे सामूहिक वंदे मातरम् गायन हुआ। भाजपा महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी ने बताया कि 8 से 15 नवंबर तक मंडल स्तर पर सामूहिक गायन और सभाएं आयोजित होंगी। विधानसभा स्तर पर सांसदों और विधायकों के नेतृत्व में कार्यक्रम होंगे।
उन्होंने बताया कि अभियान के तहत प्रदर्शनी लगाकर साहित्यिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जाएगा। विद्यालयों व महाविद्यालयों में 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूर्ण होने पर निबंध, कविता व चित्रकला प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। प्रेस वार्ता में संयोजक डॉ. विवेक सिंह तोमर, अनुराग साहू, विनय पटेल, नम्रता श्रीनेत और आकाश सिंह मौजूद रहे।
वंदे मातरम् गीत का इतिहास
वंदे मातरम् गीत वर्ष 1875 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने रचा था। इसका प्रसिद्ध वाचन 1896 में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कोलकाता में किया था। यह गीत केवल संगीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा की आवाज़ माना जाता है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इस गीत ने भारतीयों में ऊर्जा, साहस और एकता का संचार किया।
वर्ष 1950 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 'वंदे मातरम्' को राष्ट्रगीत का दर्जा प्रदान किया। विभाजन और स्वतंत्रता आंदोलनों के दौरान यह गीत राष्ट्रवाद और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध प्रतिरोध का प्रतीक बना। इसकी प्रबल राष्ट्रीय भावना से भयभीत होकर ब्रिटिश सरकार ने उस समय 'वंदे मातरम्' के प्रयोग पर प्रतिबंध भी लगा दिया था।
