हिंदी सिनेमा की मशहूर अदाकारा कामिनी कौशल का हुआ अंतिम संस्कार: 98 साल की उम्र में निधन, परिवार के करीबी मित्र ने दी जानकारी 

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Published By Anjali Singh
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मुंबई। मशहूर अभिनेत्री कामिनी कौशल का अंतिम संस्कार शनिवार को वर्ली श्मशान स्थल पर किया गया। उनके अंतिम संस्कार में उनके परिवार वाले और नजदीकी लोग मौजूद थे। बिमल रॉय की फिल्म 'बिराज बहू' (1954) और दिलीप कुमार के साथ 'आरजू' (1950) में अपने यादगार अभिनय के लिए प्रसिद्ध कामिनी कौशल का शुक्रवार को निधन हो गया था। वह 98 वर्ष की थीं। कौशल परिवार के एक करीबी पड़ोसी ने उनके निधन की खबर की पुष्टि की थी। इस घोषणा के बाद फिल्म जगत से श्रद्धांजलियों का तांता लग गया। 

वह आखिरी बार आमिर खान की फिल्म "लाल सिंह चड्ढा" में नजर आयी थीं। 'लाल सिंह चड्ढा' में उनकी सह-कलाकार करीना कपूर खान ने इंस्टाग्राम पर कामिनी कौशल की एक श्वेत-श्याम तस्वीर साझा की जिसके साथ दिल और हाथ जोड़े हुए इमोजी भी थे। कबीर सिंह में उनके साथ काम कर चुके अभिनेता शाहिद कपूर ने अपना दुख व्यक्त करते हुए लिखा,"आराम से विश्राम करो मैम।" 

'कबीर सिंह' में उनकी सह-कलाकार कियारा आडवाणी ने दिग्गज अभिनेत्री को याद करते हुए एक भावपूर्ण संदेश लिखा,"आपके साथ काम करना सम्मान की बात थी। आपकी शालीनता, विनम्रता और प्रतिभा ने पीढ़ियों को प्रेरित किया और भारतीय सिनेमा पर एक अविस्मरणीय छाप छोड़ी। कामिनी कौशल जी आपकी आत्मा को शांति मिले।" 

कामिनी कौशल भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम काल 1940, 50 और 60 के दशक की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक थीं। उन्होंने अशोक कुमार, राज कपूर, देव आनंद, दिलीप कुमार, राज कुमार और धर्मेंद्र जैसे प्रतिष्ठित सितारों के साथ भी अभिनय किया। कामिनी ने 'नीचा नगर' (1946) से एक दमदार शुरुआत की जिसने पहले कान फिल्म समारोह में ग्रैंड प्रिक्स डू फेस्टिवल इंटरनेशनल डू फिल्म पुरस्कार जीता। यह आज भी एकमात्र भारतीय फिल्म है जिसे बाद में पाल्मे डी'ओर के रूप में जाना जाने वाला पुरस्कार मिला। 

चेतन आनंद द्वारा निर्देशित इस फिल्म में उमा आनंद और रफीक अनवर भी थे। सात दशकों से अधिक के करियर में कामिनी ने 70 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। उनकी कुछ सबसे प्रशंसित कृतियों में 'दो भाई' (1947), दिलीप कुमार के साथ 'शहीद' (1948), मनोज कुमार और प्राण के साथ 'शहीद' (1965), नदिया के पार (1948), बिमल रॉय की 'बिराज बहू' (1954), 'आरजू' (1950) और राज कपूर के साथ 'आग' (1948) शामिल हैं। 

उन विविध फिल्मों में 'जिद्दी' (1948), 'शबनम' (1949), 'पारस', 'नमूना', 'झांझर', 'आबरू', 'बड़े सरकार', 'जेलर', 'नाइट क्लब' और 'गोदान' भी शामिल हैं। फिल्मों के अलावा उन्होंने दूरदर्शन के लोकप्रिय शो 'चांद सितारे' से टेलीविजन पर भी अपनी पहचान बनाई। बाद के वर्षों में भी उल्लेखनीय रूप से सक्रिय कामिनी 'कबीर सिंह' (2019) और 'लाल सिंह चड्ढा' (2022) जैसी हालिया फ़िल्मों में दिखाई दीं और अपनी सुंदरता और प्रतिभा को नई पीढ़ी के दर्शकों तक पहुंचाती रहीं।

उन्होंने 1946 में "नीचा नगर" फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की थी और 1940 के दशक के अंत और 1950 के दशक की शुरुआत में वह फिल्म जगत की सबसे अधिक कमाई करने वाली अभिनेत्रियों में से एक थीं। शाहिद कपूर ने एक इंस्टाग्राम स्टोरी साझा की, जिसमें कौशल की पुरानी और हाल की तस्वीरों का संग्रह था और लिखा, ‘‘आपकी आत्मा को शांति मिलें।’’ 

अनुपम खेर ने ‘एक्स’ पर एक भावुक पोस्ट में दिवंगत अभिनेत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें "एक शानदार कलाकार और एक खूबसूरत इंसान" बताया। उनकी पोस्ट में लिखा था, ‘‘कामिनी कौशल जी न केवल एक शानदार कलाकार थीं, बल्कि एक खूबसूरत इंसान भी थीं। जब भी मैं उनसे मिलता, वह हमेशा मुस्कुराहट और प्यार से मेरा स्वागत करतीं और हमेशा अच्छी सलाह देतीं। भारतीय सिनेमा के इतिहास में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा! ओम शांति!

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