सुप्रीम कोर्ट का आदेश...धामी सरकार को करना होगा कॉर्बेट बाघ अभयारण्य में पेड़ कटाई से हुए नुकसान की भरपाई
दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तराखंड सरकार को जिम कॉर्बेट बाघ अभयारण्य में पेड़ों की कटाई और अवैध निर्माण सहित अन्य गतिविधियों से हुए नुकसान की भरपाई के लिए उपाय करने का निर्देश दिया। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मुख्य वन्यजीव वार्डन को शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) के परामर्श से काम करने का निर्देश दिया ताकि तीन महीने के भीतर सभी अनधिकृत संरचनाओं को ध्वस्त किया जा सके।
पीठ ने निर्देश दिया, ‘‘सीईसी उत्तराखंड द्वारा विकसित पारिस्थितिकी पुनरुद्धार योजना की निगरानी करेगी।’’ उसने राज्य सरकार को अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की भरपाई के लिए उपाय करने का निर्देश दिया। प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘अगर पर्यटन को बढ़ावा देना है, तो इको-टूरिज्म होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपने परिवारों से दूर मुख्य क्षेत्र में काम करने वालों के साथ विशेष व्यवहार करने का निर्देश दिया है।’’ फैसले में कहा गया है कि उत्तराखंड राज्य को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को हुए पारिस्थितिकीय नुकसान की भरपाई और पुनरुद्धार का निर्देश दिया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘बाघ सफारी के संबंध में... हमने दिशानिर्देश जारी किए हैं। हमने माना है कि ये 2019 के नियमों के अनुरूप होने चाहिए। बचाव केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए और उपचार व देखभाल में सहायता प्रदान की जानी चाहिए। ये केंद्र बाघ सफारी के पास होने चाहिए। वाहनों की संख्या को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।’’
न्यायालय ने उन विशिष्ट गतिविधियों को सूचीबद्ध किया है जो रिजर्व के आसपास के बफर ज़ोन और जलग्रहण क्षेत्रों में प्रतिबंधित रहेंगी। इनका उद्देश्य इन नाज़ुक पारिस्थितिकीय तंत्रों में मानवीय हस्तक्षेप को कम से कम करना है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि उत्तराखंड सरकार को संरक्षित क्षेत्र में हुई अवैध वृक्ष कटाई की भरपाई के लिए ठोस उपाय करने चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने अपने परिवारों से दूर कार्यरत अग्रिम पंक्ति के वन कर्मचारियों की कठिन कार्य स्थितियों का उल्लेख करते हुए निर्देश दिया कि इन कर्मचारियों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, जिसमें वन शिविरों में उन्नत बुनियादी ढाँचा शामिल है।
न्यायालय ने आदेश दिया कि वन शिविरों में स्वच्छ पेयजल और अन्य आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध होनी चाहिए ताकि अभयारण्य की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार लोगों को पर्याप्त सहायता मिले सके। न्यायालय के संरक्षण-केंद्रित निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए मामले की निगरानी जारी रहेगी।
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