छत्तीसगढ़ : DGP-IGP कांफ्रेंस के दूसरे दिन पीएम मोदी और अमित शाह रहे मौजूद, सिक्योरिटी सिस्टम पर हुआ मंथन
रायपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को पुलिस महानिदेशकों और पुलिस महानिरीक्षकों के वार्षिक सम्मेलन की अध्यक्षता की और भारत की सुरक्षा व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक विचार-विमर्श किया। यह जानकारी सरकार की ओर से जारी एक बयान में दी गई। मोदी ने पुलिस प्रमुखों के सम्मेलन को "इस क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं और नवाचारों को साझा करने का एक बेहतरीन मंच" बताया।
छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) में देश भर के पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) और पुलिस महानिरीक्षकों (आईजीपी) के 60वें सम्मेलन का उद्घाटन शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया। यह सम्मेलन बंद कमरे में हो रहा है। शुक्रवार रात यहां पहुंचे मोदी शनिवार को विचार-विमर्श में शामिल हुए।
सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल, खुफिया ब्यूरो (आईबी) प्रमुख तपन कुमार डेका और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक प्रवीण सूद के अलावा केंद्रीय और राज्य बलों के अन्य पुलिस प्रमुख भी शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, "रायपुर में डीजीपी/आईजीपी सम्मेलन के पहले दिन भारत की सुरक्षा प्रणाली के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ। यह इस क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं और नवाचारों को साझा करने का एक बेहतरीन मंच है।"
तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए शाह ने शुक्रवार को कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने नक्सलवाद, पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर की समस्याओं का "स्थायी समाधान" दिया है और देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में तेजी से कमी आई है। उन्होंने पुलिस प्रमुखों से नशीले पदार्थों और संगठित अपराध के खिलाफ चौतरफा लड़ाई लड़ने, खुफिया जानकारी की सटीकता और अंतर-एजेंसी तालमेल और देश भर में पुलिस व्यवस्था को आधुनिक बनाने के लिए नए आपराधिक कानूनों के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया।
गृह मंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि राज्य पुलिस बल स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के साथ मिलकर काम करें, राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय नशीले पदार्थों के गिरोहों पर कड़ी कार्रवाई करें और उनके सरगनाओं को सलाखों के पीछे डालें। यह महत्वपूर्ण बैठक ऐसे वक्त हो रही है जब कुछ सप्ताह पहले एजेंसियों ने एक "सफेदपोश" आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया। यह मॉड्यूल 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार विस्फोट में शामिल था, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, रविवार को प्रधानमंत्री के संबोधन के साथ संपन्न होने वाले इस सम्मेलन का उद्देश्य प्रमुख पुलिस चुनौतियों से निपटने में हुई प्रगति की समीक्षा करना तथा "विकसित भारत" के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप "सुरक्षित भारत" के निर्माण के लिए एक दूरदर्शी रोडमैप की रूपरेखा तैयार करना है। डीजीपी और आईजीपी का सम्मेलन देश की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों के समाधान के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में उभरा है, जिसमें समस्याओं और चुनौतियों की पहचान करने से लेकर रणनीति और नीतियां तैयार करने तक शामिल है।
बयान में कहा गया है कि इस वर्ष "विकसित भारत: सुरक्षा आयाम" विषय के अंतर्गत आयोजित सम्मेलन में वामपंथी उग्रवाद, आतंकवाद रोधी, आपदा प्रबंधन, महिला सुरक्षा और पुलिस व्यवस्था में फोरेंसिक विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के उपयोग सहित प्रमुख सुरक्षा मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श होगा। इस सम्मेलन में लगभग 600 अधिकारियों की भागीदारी की संभावना है। यह सम्मेलन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित विविध मुद्दों के साथ-साथ सुरक्षा कर्मियों के सामने आने वाली विभिन्न परिचालन, ढांचागत और कल्याण संबंधी समस्याओं पर स्वतंत्र रूप से चर्चा और विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
इस बार, नये और युवा दृष्टिकोण को शामिल करने के लिए, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गृह विभागों के प्रमुखों के साथ-साथ डीआईजी (उप महानिरीक्षक) और एसपी (पुलिस अधीक्षक) स्तर के कई अधिकारी भी भाग लेंगे। बयान के अनुसार, 2013 तक यह वार्षिक सम्मेलन नयी दिल्ली में आयोजित होता था। वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद, गृह मंत्रालय और खुफिया ब्यूरो द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय राजधानी से बाहर रखने का निर्णय लिया गया।
यह सम्मेलन गुवाहाटी (असम), कच्छ के रण (गुजरात), हैदराबाद (तेलंगाना), टेकनपुर (ग्वालियर, मध्य प्रदेश), स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (केवड़िया, गुजरात), पुणे (महाराष्ट्र), लखनऊ (उत्तर प्रदेश), नयी दिल्ली, जयपुर (राजस्थान) और भुवनेश्वर (ओडिशा) में आयोजित किया जा चुका है।
