मेरा शहर मेरी प्रेरणा :दुनिया को लुभा रहे बरेली के बांस-बेंत के फर्नीचर
बरेली को यू ही बांस बरेली नहीं कहते। यहां के बने बांस-बेंत के फर्नीचर ने धाक जमा रखी है। कारोबारियों के मुताबिक यहां बने बांस-बेंत के फर्नीचर यूरोप, फिलिपींस, डेनमार्क सहित अन्य देशों को भी निर्यात हो रहे हैं। बांस और बेंत से बरेली में अनेक आकर्षक व उपयोगी वस्तुएँ बनती हैं। कुर्सियां, टेबल, सोफ़ा, बेड, स्टूल, रैक, शेल्फ, झूला, बेबी क्रेडल,ट्रे, लैम्प, होम डेकोर आइटम, कैफ-रिसॉर्ट के लिए थीम आधारित सेट, फूलदान और सजावटी शोपीस, टोकरी, डलिया और स्टोरेज बॉक्स, फाउंटेन, शेड, गार्डन डेकोरेशन व अन्य वस्तुएं यहां के कारगर बनाते हैं।
आसाम, त्रिपुरा से मंगाते हैं बांस : कारोबारी खालिद ने बताया कि आसाम, त्रिपुरा से बांस मंगवाया जाता है। सरकार बांस की खेती को प्रोत्साहन दे रही है। मिशन बैंबू के तहत नवाबगंज और फतेहगंज पश्चिमी के किसान बांस की खेती कर रहे हैं। कुछ साल में ये बांस तैयार हो जाएगा। उन्होंने बताया कि बांस से हर तरह का फर्नीचर नहीं बना सकते। क्योंकि ये अंदर से खोखला होता है। बेंत से हर तरह का फर्नीचर तैयार किया जा सकता है। बेंत का फर्नीचर ज्यादा लुभावना होता है। बरेली के पुराना शहर से लेकर सीबीगंज, पदारथपुर, ठिरिया, उड़ला जागीर, आलमपुर, गरगटा, फतेहगंज पश्चिमी, नवाबगंज के गांवों में बांस-बेंत के फर्नीचर बनाने का काम पीढ़ियों से हो रहा है।
बेहतरी के प्रयास
बांस- बेंत के काम को और निखारने के लिए बरेली में कई तरह के कॉमन फैसिलिटी सेंटर बनाए गए हैं। इसमें किसानों का बांस खरीद कर कंपनियों के माध्यम से बांस के आभूषण, गृह सज्जा, फर्नीचर जैसे तमाम वस्तुएं बनाने का प्रशिक्षण दिया जाने लगा। कारीगरों को प्रशिक्षित करने के लिए आसाम, त्रिपुरा से प्रशिक्षक बुलाए जाते हैं।
घरों में होता है बेंत का काम
फर्नीचर कारोबारी खालिकिन नूर ने बताया कि छोटे कारखानों और घरों में बेंत का काम होता है। कोई कारीगर सोफा, कुर्सी, स्टूल जैसे फर्नीचर बनाने में उस्ताद होता है तो कोई सजावटी सामान में। इसीलिए अलग-अलग कारीगरों से सामान तैयार करवाते हैं। राज्य के कई शहरों के अलावा दूसरे प्रदेशों में भी माल जाता है।
लकड़ी के फर्नीचर का जलवा
बरेली लकड़ी के फर्नीचर की बहुत बड़ी मंडी है। सैकड़ों दुकानें-शोरूम यहां के फर्नीचर की कहानी सुनाते हैं। यह शहर अपने फर्नीचर की गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। फर्नीचर की लंबी रेंज ग्राहकों को उनकी जरूरत के अनुसार चुनने की सुविधा देता है। स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए बेहतरीन फर्नीचर के साथ अब शहर में ब्रांडेड फर्नीचर के भी शोरूम बड़ी संख्या में खुले हैं।
गुणवत्ता के साथ बनाते हैं डिजाइन
बरेली फर्नीचर डीलर ऐसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप गोयल कहते हैं कि बरेली के फर्नीचर की सबसे बड़ी खासियत है गुणवत्ता। हम ग्राहक के मनमुताबिक डिजाइन तैयार करवाते हैं, साथ ही गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखते हैं। यही भरोसा बरेली के फर्नीचर बाजार को खास बनाता है। बरेली में बना फर्नीचर आसपास जिलों के अलावा उत्तराखंड समेत दूसरे कई प्रदेशों में जाता है।
मशक्कत से मिला ओडीओपी
ऐसोसिएशन के महामंत्री सौरभ गर्ग भी बरेली के फर्नीचर को खास बताते हैं। वह कहते हैं कि पूरे उत्तर प्रदेश में बरेली से बड़ी फर्नीचर की मंडी नहीं। यहां सैकड़ों छोटे-बड़े प्रतिष्ठान हैं। दिल्ली बहुत बड़ी मंडी है। लेकिन वहां भरोसे की कोई गारंटी नहीं। आप मांगेंगे कुछ, दिखाया जाएगा कुछ और घर पहुंचेगा कुछ और। हमारी सबसे बड़ी पूंजी ही ग्राहकों का विश्वास है। उन्होंने बताया कि एक जनपद एक उत्पाद योजना में फर्नीचर को शामिल कराने के लिए हमें बहुत मशक्कत करनी पड़ी। आडीओपी मिलने से इस कारोबार से जुड़े करोबारियों सहित हजारों कारीगरों को फायदा मिलेगा। वित्तीय सहायता, कौशल विकास, ब्रांडिंग और प्रचार के अलावा रोजगार सृजन होगा।
