प्रोसेस्ड कृषि उत्पादों से वैल्यू एडिशन और नई मार्केटिंग की संभावनाएं, एकीकृत प्लेटफॉर्म से किसानों को मिल रही सटीक जानकारी

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Published By Muskan Dixit
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यूपी में सर्वाधिक कोल्ड स्टोरेज, गांवों में बन रहे प्रोसेसिंग पार्क

लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश में कृषि प्रसंस्करण आज ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नई ताकत बन कर उभरा है। योगी आदित्यनाथ सरकार किसानों को वैश्विक बाजार से जोड़कर उनकी आय बढ़ाने पर निरंतर काम कर रही है। अब खेतों में पैदा होने वाला खाद्य उत्पाद सीधे देश-विदेश तक पहुंच रहा है। गांवों में एग्रो-प्रोसेस यूनिट, मिनी फूड पार्क और ओडीओपी आधारित प्रसंस्करण इकाइयों का तेजी से विस्तार हुआ है। आज देश के कुल कोल्ड स्टोरेज का 40 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में है।

खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अनुसार प्रदेश में करीब 75 हजार प्रसंस्करण इकाइयां सक्रिय हैं, जबकि नीति के तहत 428 नई इकाइयों का गठन किया जा चुका है। सरकार का लक्ष्य हर जिले में 1,000 से अधिक इकाइयां स्थापित करने का है, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित हो सकेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं कृषि क्षेत्र की योजनाओं और प्रगति की समीक्षा करते रहते हैं। सरकार की प्रोत्साहन नीतियों के परिणामस्वरूप आज उत्तर प्रदेश का अन्नदाता सिर्फ खाद्यान्न उत्पादक नहीं बल्कि एक सफल उद्यमी के रूप में उभर रहा है। राज्य की अर्थव्यवस्था को ‘वन ट्रिलियन डॉलर’ बनाने के मिशन में कृषि और उससे जुड़े उद्योगों को अहम स्तंभ माना गया है। इसी उद्देश्य से डिजिटल कृषि नीति को तेजी से लागू किया जा रहा है, ताकि किसान आधुनिक तकनीक और डेटा-आधारित खेती के लाभ से वंचित न रहें।

2017 से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में कोल्ड स्टोरेज की सुविधाएं सीमित थीं, लेकिन सरकार ने इस दिशा में बड़े सुधार किए। आज देश के कुल कोल्ड स्टोरेज का 40 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में है। प्रदेश में लगभग 2,500 कोल्ड स्टोर संचालित हैं, जिनकी कुल क्षमता 1.55 करोड़ मीट्रिक टन तक पहुंच चुकी है। पीपीपी मॉडल के जरिए आधुनिक तकनीक वाले नए कोल्ड स्टोरेज बनाए जा रहे हैं, जिससे फल-सब्जी एवं नाशवंत उत्पादों का नुकसान कम हुआ है और किसानों को अधिक लाभ मिलने लगा है।

डिजिटल एग्रीकल्चर इकोसिस्टम से बढ़ रही किसानों की आमदनी

प्रदेश में तैयार किए जा रहे एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बीज, उर्वरक, मौसम, सिंचाई, बीमा, बाजार भाव, लॉजिस्टिक और फसल से संबंधित सभी महत्वपूर्ण सूचनाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इससे किसान पहले से अधिक बेहतर योजना बनाकर खेती कर पा रहे हैं। डिजिटल कृषि परियोजना पर सरकार 4,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, जिसका लक्ष्य कृषि उत्पादन को तकनीक से पूरी तरह जोड़ना है।

दलाली को रोक रहा कृषि मंडियों का डिजिटलीकरण

पहले उत्तर प्रदेश की मंडियां पुराने ढर्रे पर चलती थीं, जहां तकनीक का अभाव था। पारदर्शिता न होने के कारण किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता था। योगी सरकार ने मंडियों के डिजिटलीकरण पर जोर देकर किसानों और खरीदारों के बीच सीधा एवं पारदर्शी मंच उपलब्ध कराया। अब मंडी भाव, मौसम और स्टॉक की सूचनाएं किसानों को समय पर मिलती हैं, जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी दर्ज हुई है।

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