संपादकीय: विकास, नीति और संदेश
योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट ने जो 20 प्रस्ताव पास किए, वे राज्य की आर्थिक-सामाजिक दिशा को पुनर्गठित करने की कोशिश का संकेत देते हैं। इन प्रस्तावों का दावा है कि वे आम जनता के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में ठोस योगदान देंगे। प्रश्न यह है कि क्या ये निर्णय सूबे की जटिल और दीर्घकालिक समस्याओं को पर्याप्त रूप से संबोधित करते हैं या फिर ये एक संतुलित राजनीतिक-सामाजिक पैकेज भर हैं? सीजीएसटी और स्टांप ड्यूटी में दी गई छूट व्यापार जगत और रियल एस्टेट क्षेत्र को स्पष्ट रूप से राहत देगी।
व्यापारियों को टैक्स संबंधी बोझ से कुछ राहत मिलेगी, जिससे कारोबारी गतिविधियों में गति आएगी। बाजार को जब भरोसे और पूंजी प्रवाह की आवश्यकता थी, यह वित्तीय प्रोत्साहन आया। संभव है अप्रत्यक्ष रूप से इसका लाभ उपभोक्ताओं को भी मिले, सस्ती संपत्ति, कम लागत वाली सेवाएं और निवेश के सृजन से इसका प्रभाव दो-तरफा हो। शहरों में जलापूर्ति समस्या से परेशान बरेली और कानपुर की पेयजल योजनाएं शहरी बुनियादी ढांचे को मजबूती देंगी। सुरक्षित और नियमित पेयजल की उपलब्धता न सिर्फ स्वास्थ्य को सुधारती है, बल्कि उद्योग और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी भरोसा देती हैं। यह कदम शहरी जीवन की गुणवत्ता में वास्तविक सुधार ला सकता है।
इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति के तहत रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा या फिर निरस्त करना महत्वपूर्ण सुधार है। निष्क्रिय पड़ी परियोजनाओं ने वर्षों तक पूंजी, भूमि और जनता के विश्वास को उलझाए रखा है। इन परियोजनाओं को गति मिलने से न सिर्फ आवास का संकट कम होगा, बल्कि निर्माण क्षेत्र को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। यह राज्य की विकास दर को प्रत्यक्ष रूप से बढ़ा सकता है, साथ ही रोजगार सृजन के नए अवसर भी तैयार होंगे। नए जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र खोलने का फैसला सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। दिव्यांग जनों के लिए रोजगारपरक प्रशिक्षण, उपचार और सहायक उपकरणों की उपलब्धता बढ़ेगी।
सरकार द्वारा अस्पताल विकास में निजी निवेश के लिए सहायता नीति को और व्यावहारिक बनाने के प्रस्ताव को पुनरीक्षण के लिए लौटाना यह संकेत देता है कि सरकार जल्दबाज़ी में कदम नहीं उठाना चाहती। स्वास्थ्य ढांचे में निजी निवेश आवश्यक है, परंतु पर्याप्त नियमन और पारदर्शिता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। सरकार स्पष्ट रूप से ऐसी नीति चाहती है, जिससे निवेशक भी संतुष्ट हों और जनता के हित भी सुरक्षित रहें।
अयोध्या में मंदिर संग्रहालय निर्माण का प्रस्ताव सांस्कृतिक, पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था तीनों स्तरों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यह परियोजना स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार अवसर भी बढ़ाएगी। पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था में ऐसे संस्थान न केवल प्रतीकात्मक होते हैं, बल्कि लंबे समय में राजस्व और पहचान के स्थायी स्रोत भी बनते हैं। निस्संदेह, इन सभी प्रस्तावों में राजनीतिक संदेश भी निहित है। चुनावी राज्य में कोई भी बड़ा निर्णय पूरी तरह गैर-राजनीतिक नहीं हो सकता। परंतु यह भी सत्य है कि यदि ये प्रस्ताव समयबद्धता, पारदर्शिता और गंभीर क्रियान्वयन के साथ लागू होते हैं, तो इनका ठोस और दीर्घकालिक लाभ जनता को मिलेगा।
