रिश्ते में ब्रेकअप और ग्रहों का प्रभाव

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Published By Anjali Singh
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लव अफेयर में ब्रेकअप सिर्फ “किस्मत खराब” होने से नहीं होता, ज्योतिष की भाषा में यह ग्रहों, भावों और चल रही दशा-महादशा का परिणाम होता है। कुंडली में प्रेम (5 वां भाव) और संबंध/साथी (7वां भाव) जब दबाव में आते हैं, तभी अच्छे‑भले रिश्ते भी धीरे‑धीरे या अचानक टूट जाते हैं।- आचार्य मधुरेंद्र पांडेय, वास्तु विशेषज्ञ

प्रेम और रिश्ते के मुख्य भाव

ज्योतिष में लव अफेयर को सीधे‑सीधे दो भाव संचालित करते हैं, 5 वां और 7 वां। 5 वां भाव आकर्षण, रोमैंटिक फीलिंग, प्रस्ताव, पहली मुलाकात और दिल की धड़कनें दिखाता है, जबकि 7 वां भाव प्रतिबद्धता, पार्टनर की स्थिरता और लंबे समय की संगति को दर्शाता है। जब 5 वें भाव या उसके स्वामी पर अशुभ ग्रहों का दबाव हो, तो प्यार शुरू तो होता है, पर शादी तक टिक नहीं पाता और बीच में ही ब्रेकअप हो जाता है।

7 वां भाव और उसका स्वामी रिश्ते की गहराई, भरोसा, समझौते की क्षमता और शादी की संभावना बताते हैं। यदि 7 वां भाव, उसका स्वामी या शुक्र/चंद्र अशुभ प्रभाव में हों, तो या तो सही साथी नहीं मिलता, या मिलकर भी संबंध में स्थिरता नहीं आ पाती।

कौन‑कौन से ग्रह ब्रेकअप कराते हैं

ब्रेकअप के मामले में ज्यादातर बार कुछ ग्रह बार‑बार सामने आते हैं- शुक्र, मंगल, शनि, राहु, केतु और सूर्य। 

शुक्र :  प्यार, आकर्षण, मोहब्बत की भाषा, सेंसुअलिटी और रिलेशनशिप की क्वालिटी का कारक है, कमजोर या पीड़ित शुक्र अक्सर प्रेम‑विफलता देता है।

मंगल : जोश, क्रोध, अहंकार, शारीरिक ऊर्जा और लड़ाई‑झगड़े का ग्रह है, 5 वें या 7 वें भाव से जुड़कर अनबन और टकराव बढ़ाता है।

शनि : दूरी, देरी, बोझ, जिम्मेदारी और ठंडापन लाता है, भावनाओं पर बर्फ डाल देता है, जिससे पार्टनर को उपेक्षा महसूस होती है।

राहु : भ्रम, जुनून, ओब्सेशन और भ्रमित फैसले देता है, गलत व्यक्ति पर फोकस करवा सकता है या अवास्तविक उम्मीदें पैदा करता है।

केतु : विरक्ति, अचानक दूरी, कट‑ऑफ और बोरियत दिखाता है, एक समय बाद व्यक्ति को लगता है कि अब “कनेक्शन नहीं बचा।”

सूर्य : अलगाव, ईगो और “मैं” की भावना बढ़ाता है, कई बार सूर्य की दशा या उसका 5 वें/7 वें भाव पर प्रभाव संबंध को अलगाव की ओर धकेल देता है।

मुख्य ग्रहयोग 

कुछ विशिष्ट योग ऐसे हैं, जिनके चलते अच्छे रिश्ते भी टूटने लगते हैं। शुक्र पर शनि या राहु की कड़ी दृष्टि/संयोग: भावनात्मक ठंडापन, शक, गलतफहमियां और भरोसे की कमी ला सकता है, जिससे धीरे‑धीरे दूरी और ब्रेकअप बनता है।

शुक्र का 6, 8 या 12 वें भाव में होना : 6वां भाव झगड़े और कोर्ट‑कचहरी, 8 वां भाव गहरी उलझन, धोखा या छुपी बातों और 12 वां भाव दूरी, त्याग या परदेसीपन का संकेत देता है, जिससे प्रेम जीवन में संघर्ष और टूटन बढ़ सकती है।

5 वें भाव या उसके स्वामी पर राहु-केतु, शनि या मंगल का दबाव, प्यार शुरू हो भी जाए, तो किसी न किसी वजह से रिश्ता बीच में टूट जाता है, खासकर तब जब शादी की बात आती है।

मंगल-शुक्र का तीखा मेल और साथ में राहु/केतु : बहुत तेज आकर्षण, फिजिकल पास्शन और ईगो क्लैश, जो शुरुआत में रोमांचक लगता है, पर बाद में थकान और झगड़े में बदल जाता है।

5 वां, 7 वां, 6 वां, 8 वां, 12 वां भाव ज्यादातर लव‑ब्रेकअप में यही पांच भाव सक्रिय पाए जाते हैं।

5 वां भाव: प्रेम की शुरुआत, क्रश, प्रपोज़ल, डेटिंग और दिल की खुशियां, इसकी कमजोरी से रिश्ते का “आरंभ” तो होता है, पर “अंजाम” अच्छा नहीं होता।

7 वां भाव: पार्टनर, लिव‑इन, विवाह, सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया गया रिश्ता, इस पर चोट या पाप ग्रह का प्रभाव रिश्ते की नींव हिला देता है।

6 वां भाव: विवाद, झगड़े, कोर्ट‑केस, ईगो बैटल, 6 वें भाव से जुड़ी दशा चलने पर छोटी बात भी केस या अलगाव तक जा सकती है।

8 वां भाव : गुप्त संबंध, धोखा, अचानक घटनाएं, मानसिक दुख, इस भाव की सक्रियता में रिलेशन में रहस्यों का खुलासा, धोखे का एहसास या अचानक ब्रेकअप संभव है।

12 वां भाव : दूरी, विदेश, अस्पताल, अकेलापन और त्याग, कई बार 12 वें भाव के प्रभाव से पार्टनर दूर देश चला जाता है, व्यस्त हो जाता है या मानसिक रूप से कट जाता है।

बार‑बार ब्रेकअप होने के कारण

कुछ कुंडलियां ऐसी होती हैं, जहां एक रिश्ता नहीं, कई रिश्ते टूटते हैं।

5 वें और 7 वें दोनों भाव/स्वामी पर एक साथ पाप ग्रहों का बार‑बार प्रभाव होना, जैसे राहु, केतु, शनि, मंगल की दृष्टि या 
संयोग। शुक्र और चंद्र दोनों कमजोर या पीड़ित हों, तो व्यक्ति या तो खुद भावनात्मक रूप से स्थिर नहीं होता या गलत लोगों को आकर्षित करता है।

राहु के प्रभाव से व्यक्ति को आकर्षण बहुत तेजी से होता है, पर जब वास्तविकता सामने आती है, तो मोह भंग होने में देर नहीं लगती।

चल रही दशा – भुक्ति ऐसे ग्रहों की हो, जो अलगाव, दूरी या संघर्ष के कारक हैं, जैसे सूर्य, शनि, राहु, 6 वें/8 वें/12 वें भाव के स्वामी आदि।

कब होता है ब्रेकअप - दशा और गोचर

कुंडली में योग बनने के बाद वास्तविक ब्रेकअप अक्सर दशा और गोचर के समय होता है। जब 6 वां, 8 वां या 12 वां भाव सक्रिय दशा में आ जाए या उनके स्वामी की महादशा/अंतर्दशा चले, तो संबंध में तनाव बढ़कर टूटन तक जा सकता है।

राहु‑केतु, शनि या सूर्य का गोचर 5 वें/7 वें भाव, उनके स्वामी या शुक्र-चंद्र पर आ जाए, तो वह समय विशेष रूप से संवेदनशील माना जाता है। परंपरा में ऐसे समय में मंत्र, दान, व्रत, पूजा और ज्योतिषीय उपायों की भी सलाह दी जाती है ताकि मन शांत रहे और निर्णय जल्दबाजी में न लिए जाएं। हर व्यक्ति की कुंडली अलग होती है, इसलिए असली, सटीक उपाय तो वही होता है, जो 5 वें, 7 वें भाव, शुक्र, चंद्र, राहु केतु, शनि और चल रही दशा को देखकर दिया जाए।

 

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