Bareilly: खुलासा...निचली दर पर टेंडर डालकर सड़कों की गुणवत्ता से खिलवाड़...ब्लैक लिस्ट करने की चेतावनी

Amrit Vichar Network
Published By Monis Khan
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बरेली, अमृत विचार। सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर मुख्यमंत्री की सख्त जीरो टोलरेंस नीति को ठेंगा दिखाने वाले श्रेणी ए के चार ठेकेदार फंस गए हैं। इन ठेकेदारों ने 25 प्रतिशत से अधिक बिलो दर पर टेंडर लेकर सड़क की गुणवत्ता को पूरी तरह ताक पर रख दिया। निर्माण कार्यों में जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता ने श्रेणी ए की चार फर्मों को नोटिस जारी करके 15 दिन में जवाब मांगा है। जवाब संतोषजनक न होने पर काली सूची में डालने की चेतावनी दी गई है।

लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता अजय कुमार के अनुसार जांच में खुलासा हुआ खराब गुणवत्ता की सड़कों का निर्माण कराने वाली फर्मों ने अनुबंध की शर्तों को दरकिनार करते हुए बैच मिक्स की जगह ड्रम बेस्ड हॉट मिक्स प्लांट का इस्तेमाल किया। साइट पर प्रोजेक्ट मैनेजर सहित इंजीनियर की नियुक्ति के मानक को भी माना। इससे न केवल सड़कों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हुए बल्कि सरकारी खजाने को लाखों रुपये का नुकसान भी हुआ। चीफ इंजीनियर ने सभी फर्मों को नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब मांगा है।

मुख्य अभियंता की ओर से जिन फर्मों को नोटिस जारी किया है उनमें लखनऊ की एसएस इंफ्रोजोन प्रा. लि ने शाहजहांपुर में 28 किमी सड़क बनाई है। बदायूं की एबी इंफ्राजोन ने भमौर शाहबाद बिलारी मार्ग का निर्माण कराया है। गाजियाबाद की बीपी कंस्ट्रक्शन ने पीलीभीत में मझोला बिरहानी और अन्य 13 किमी जिला मार्ग का चौड़ीकरण किया है, जबकि शर्मा कंस्ट्रक्शन ने बरेली में फरीदपुर-बीसलपुर मार्ग से मेहतपुर तिजासिंह खनापुरा होते हुए मढ़ैया मार्ग का चौड़ीकरण किया है। इनमें भमौरा-शाहाबाद बिलारी मार्ग पर चीफ इंजीनियर ने 20 नवंबर को स्वयं निरीक्षण किया था, जबकि बीपी कंस्ट्रक्शन के कार्य को लेकर अफसर से लेकर जनप्रतिनिधियों ने भी कई बार नाराजगी जाहिर की। इन सभी सड़कों की जांच दिसंबर महीने में ही हुई है। कारण बताओ नोटिस में चेतावनी दी है कि संतोषजनक जवाब न मिलने पर संबंधित फर्म को काली सूची में डाल दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश के बावजूद अनदेखी जारी
सड़क निर्माण टेंडरों में 25 से 35 प्रतिशत तक बिलो दर डालना अब प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि अभियंताओं की शह पर चल रहा खेल भी बन चुका है। जानकारों के मुताबिक ठेकेदार जानते हैं कि इतनी अधिक बिलो दर व्यावहारिक नहीं होती, फिर भी टेंडर इसलिए डाले जाते हैं क्योंकि उन्हें भरोसा होता है कि अभियंता आपत्ति नहीं करेगा। सीएम योगी ने दो माह पहले समीक्षा बैठक में खुद सड़क निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे। दो टूक कहा था कि कई ठेकेदार 20 प्रतिशत बिलो रेट पर टेंडर डालकर काम ले लेते हैं और बाद में घटिया सामग्री से सड़क बनाते हैं, जिससे कुछ ही समय में सड़क खराब हो जाती है। मुख्यमंत्री ने ऐसे ठेकेदारों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई और सड़क की गुणवत्ता में गड़बड़ी मिलने पर दोषी अभियंताओं पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके अभियंता इसे नजरअंदाज कर रहे हैं।

आरोप : चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने का खेल
मंडलीय कांस्ट्रक्शन एसोसिएशन के अध्यक्ष शिव कुमार गोयल बताते हैं कि बिलो टेंडरों के पीछे असली मकसद प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि जनप्रतिनिधियों के चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाना होता है। अभियंता पहले से तय ठेकेदारों के लिए शर्तें अनुकूल बनाते हैं और ज्यादा बिलो दर के बावजूद टेंडर स्वीकृत कर देते हैं। काम की गुणवत्ता अच्छी चाहिए तो अभियंता अगर चाहें तो ऐसे टेंडरों को तुरंत निरस्त कर सकते हैं, लेकिन संरक्षण और दबाव के चलते वे शासन के आदेशों को दरकिनार कर देते हैं।

पीडब्ल्यूडी चीफ इंजीनियर, अजय कुमार ने बताया कि सड़क की गुणवत्ता के लिए तय मानकों में किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। शासन की मंशा के अनुरूप ठेकेदारों को पहले भी कई बार चेतावनी जारी की जा चुकी है। मंडल में बनाई जानी वाली हर सड़क की निगरानी में अभियंता लगे हैं। जहां भी कमियां मिलेंगी, संबंधित ठेकेदार और साइट इंजीनियर की जवाबदेही तय होगी।

 

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