UPI का दबदबा बरकरार: यूपीआई लेन-देन में 33.5% की उछाल, 70 करोड़ से ज्यादा एक्टिव क्यूआर कोड
कोलकाता। भारत के डिजिटल पेमेंट क्षेत्र में काफी तेजी से विकास हो रहा है। इस बात का खुलासा वर्ल्डलाइन इंडिया ने किया है। वर्ल्डलाइन इंडिया ने गुरुवार को डेटा से भरपूर एक संक्षिप्त विवरण जारी किया, जिसमें 2025 की तीसरी तिमाही में देश के डिजिटल पेमेंट क्षेत्र में तेज़ी से हो रहे विकास को दर्शाया गया। इसमें यूपीआई के जरिये लेन-देन की संख्या सालाना 33.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 59.33 अरब हो गयी है। यह विवरण वर्ल्डलाइन की प्रमुख इंडिया डिजिटल पेमेंट्स रिपोर्ट का ही एक विस्तार है, जो इस तिमाही में पेमेंट कर्ताओं के बारे में समय पर जानकारी देता है।
इस एनालिसिस में यूपीआई के लगातार दबदबे, क्यूआर-आधारित व्यापार स्वीकृति में तेज़ी से बढ़ोतरी, कार्ड जारी करने में लगातार ग्रोथ और मेट्रो शहरों तथा उभरते भारत दोनों में डिजिटल अपनाने में गहराई को उजागर किया गया। क्यू3- 2025 ने दुनिया की सबसे डायनामिक रियल-टाइम पेमेंट अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की स्थिति को और मज़बूत किया और कहा कि यहां हर स्कैन, टैप और क्लिक उपभोक्ताओं और कारोबारियों के व्यवहार को बदल रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यूपीआई ने रिकॉर्ड तोड़ने का सिलसिला जारी रखा, लेन-देन सालाना आधार पर 33.5 प्रतिशत बढ़कर 59.33 अरब हो गया और लेन-देन का मूल्य सालाना आधार पर 21 प्रतिशत बढ़कर 74.84 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
व्यक्ति से कारोबारी (पी2एम) लेन-देन व्यक्ति से व्यक्ति (पी2पी) से आगे रहे, जो रोज़मर्रा के खुदरा लेन-देन में यूपीआई के दबदबे को दिखाता है। रिपोर्ट के अनुसार पी2एम लेन-देन 35 प्रतिशत बढ़कर 37.46 अरब हो गया और पी2पी 29 वृद्धि के साथ 21.65 अरब लेन-देन हो गया है। औसत टिकट साइज़ घटकर 1,262 रुपये (1,363 रुपये से) हो गया, जो रोजमर्रा के सामान, खाना, हेल्थकेयर की ज़रूरी चीज़ों और हाइपरलोकल कॉमर्स जैसे छोटे लेने-देन के लिए बढ़ते इस्तेमाल को दिखाता है। भारत में 70.90 करोड़ सक्रिय यूपीआई क्यूआर हो गए हैं, जो जुलाई 2024 से 21 प्रतिशत ज्यादा हैं। किराना, फार्मेसी, ट्रांसपोर्ट हब और ग्रामीण बाजारों में क्यूआर की व्यापक स्वीकार्यता ने स्कैन-एंड-पे को देश भर में डिफ़ॉल्ट पेमेंट मोड बना दिया है।
पीओएस टर्मिनल 35 प्रतिशत बढ़कर 121.2 लाख हो गए (जुलाई 2024-जुलाई 2025), भारत क्यूआर 61.0 लाख पर रहा, जिसमें यूपीआई क्यूआर के दबदबे की ओर बदलाव के बीच मामूली गिरावट देखी गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस मामले में निजी बैंक आगे हैं जिनका मार्केट शेयर 84 प्रतिशत था। क्रेडिट कार्ड जारी करने में सालाना 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह 1133.9 लाख कार्ड तक पहुंच गया। वहीं, डेबिट कार्ड 1.02 अरब हो गए, जबकि प्रीपेड कार्ड 47.01 करोड़ थे। क्रेडिट कार्ड से लेन-देन में 26 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और इसकी संख्या 1.45 अरब हो गयी, जिसका मूल्य 4.08 लाख करोड़ रुपये था। डेबिट कार्ड से लेन-देन में 25 प्रतिशत की गिरावट आई, जो कम कीमत वाले खर्चों के यूपीआई पर शिफ्ट होने को दिखाता है।
