बरेली: वर्कबुक से पढ़ाई करने में ‘सहज’ रहेंगे बच्चे

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रजनेश सक्सेना, बरेली। कोरोना काल में स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई पर खासा असर पड़ा है। छोटे बच्चे लिखना-पढ़ना तक भूल गए हैं। बेसिक शिक्षा विभाग कोरोना काल में हुए पढ़ाई के नुकसान की भरपाई करने में जुटा है। इसलिए अब बच्चों को किताबों के साथ ‘सहज’ नाम की एक वर्कबुक भी दी …

रजनेश सक्सेना, बरेली। कोरोना काल में स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई पर खासा असर पड़ा है। छोटे बच्चे लिखना-पढ़ना तक भूल गए हैं। बेसिक शिक्षा विभाग कोरोना काल में हुए पढ़ाई के नुकसान की भरपाई करने में जुटा है। इसलिए अब बच्चों को किताबों के साथ ‘सहज’ नाम की एक वर्कबुक भी दी जाएगी जिससे बच्चों को आसानी हो और उन्हें अक्षरों का ज्ञान आसानी से हो सके। हालांकि, अभी यह वर्कबुक बीएसए कार्यालय में ही पहुंच पाई है।

कक्षा एक और दो के बच्चों को शिक्षक खुद हाथ पकड़कर लिखना सिखाते थे। ऐसे में जब स्कूल ही नहीं खुले तो बच्चों की लिखने-पढ़ने की भी आदत छूट गई। इसलिए पहली से तीसरी कक्षा तक के बच्चों को एक सहज नाम की वर्कबुक दी जानी है। ऐसा पहली बार होगा जब परिषदीय स्कूलों के बच्चे वर्कबुक से पढ़ाई करेंगे। इस वर्कबुक में अक्षरों को डॉटेड बनाया गया है जिसमें बच्चों को सभी बिंदुओं को एक साथ मिलाकर एक अक्षर लिखना होता है। इस तरह से बच्चों को अक्षरों के साथ लिखने का भी अभ्यास होता है।

शिक्षकों का कहना है कि वर्कबुक से पढ़ाई कराने का विचार बेहद अच्छा है। इससे छोटे बच्चों को सिखाने में जहां आसानी होगी वहीं, उन्हें पढ़ने में भी मजा आएगा। इससे अभिभावकों की जेब पर भी अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। शिक्षकों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों के अभिभावक बच्चों को कॉपियां भी दिलाना नहीं चाहते हैं। ऐसे में उन्हें लिखना सिखाना बहुत मुश्किल होता है। अब जब बच्चों को वर्कबुक मिलेगी तो उन्हें कॉपियों की भी कोई खास जरूरत नहीं होगी।

छोटे बच्चों को हाथ पकड़कर लिखवाना होता था मगर कोरोना काल में जब स्कूल नहीं खुले तो अधिकांश बच्चे लिखना पढ़ना भी भूल गए। ऐसे में यह वर्कबुक उनके लिए बहुत अच्छी है। इससे पढ़ने और समझने में बच्चों को आसानी होगी। – पूनम सिंह, प्राधानाध्यापक, प्राथमिक विद्यालय, सरेंडा

किताबें तो बच्चों को स्कूल से मिल जाती हैं मगर कुछ ग्रामीण इलाकों में अभिभावक बच्चों को कापियां तक नहीं दिलाते हैं। इसलिए दिक्कतें होती हैं। अब जब वर्कबुक मिलेगी तो अभिभावकों को भी ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। साथ ही बच्चों को पढ़ने में भी आसानी होगी। – सारिका सक्सेना, प्रधानाध्यापिका, पूर्व माध्यमिक स्कूल, पथरा

वर्कबुक से एक बड़ा फायदा यह होगा कि जो अभिभावक पढ़े-लिखे नहीं हैं उन्हें भी इससे अपने बच्चों को समझाने में आसानी होगी। स्कूल से अभिभावकों को समझा दिया जाएगा कि बच्चों को इन्हीं बिंदुओं पर पेंसिल चलवानी है तो वह भी आसानी से समझ जाएंगे। – दीपमाला पांडेय, प्रधानाध्यापक, प्राथमिक विद्यालय, डभौरा गंगापुर, भुता

इस बार बच्चों को पढ़ाने के लिए शासन की ओर से वर्कबुक भेजी गई है। इससे उन्हें पढ़ने में आसानी होगी। जल्द ही इन्हें स्कूलों में पहुंचा दिया जाएगा। – विनय कुमार, बीएसए

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