अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद का निधन, लखनऊ के पीजीआई में ली अंतिम सांस

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जौनपुर। अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री माता प्रसाद का मंगलवार देर रात लखनऊ स्थित संजय गांधी स्नानकाेत्तर आर्युविज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) निधन हो गया। वह लगभग 97 वर्ष के थे। जिले के मछलीशहर तहसील क्षेत्र के कजियाना मोहल्ले में 11 अक्टू बर 1924 को जगरूप राम के पुत्र के …

जौनपुर। अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री माता प्रसाद का मंगलवार देर रात लखनऊ स्थित संजय गांधी स्नानकाेत्तर आर्युविज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) निधन हो गया। वह लगभग 97 वर्ष के थे। जिले के मछलीशहर तहसील क्षेत्र के कजियाना मोहल्ले में 11 अक्टू बर 1924 को जगरूप राम के पुत्र के रूप में जन्मे माता प्रसाद 1942-43 में मछलीशहर से हिंदी-उर्दू में मिडिल परीक्षा पास की।

गोरखपुर के नॉर्मल स्कूल से ट्रेनिंग के बाद जिले के मडियाहू क्षेत्र के प्राइमरी स्कूल बेलवा में सहायक अध्यापक के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने गोविंद , विशारद के अलावा हिंदी साहित्य की परीक्षा पास की। अध्यापन काल में ही ये लोकगीत लिखना और गाना इनका शौक हो गया था। इनकी कार्य कुशलता को देखते हुए इन्हें 1955 में जिला कांग्रेस कमेटी का सचिव बनाया गया। राजनीति में स्वर्गीय बाबू जगजीवन राम को अपना आदर्श मानने वाले माता प्रसाद जिले के शाहगंज (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर 1957 से 1974 तक लगातार पांच बार विधायक रहे।

1980 से 1992 तक 12 वर्ष तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने इन्हें अपने मंत्रिमंडल में 1988 से 89 तक राजस्व मंत्री बनाया था। देश की नरसिंह राव सरकार ने 21 अक्टूबर 1993 को इन्हें अरुणाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया और 31 मई 1999 तक ये राज्यपाल रहे। राज्यपाल पद पर रहते हुए प्रसाद को तत्कालीन गृह मंत्री गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने पद छोड़ने को कहा तो उन्होंने दरकिनार कर दिया था।

पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद एक साहित्यकार के रूप में भी जाने जाते रहे उन्होंने एकलव्य खंडकाव्य, भीम शतक प्रबंध काव्य, राजनीत की अर्थ सतसई, परिचय सतसई, दिग्विजयी रावण जैसी काव्य कृतियों की रचना ही नहीं की वरन अछूत का बेटा, धर्म के नाम पर धोखा, वीरांगना झलकारी बाई, वीरांगना उदा देवी पासी, तड़प मुक्ति की, धर्म परिवर्तन प्रतिशोध, जातियों का जंजाल, अंतहीन बेड़ियां, दिल्ली की गद्दी पर खुसरो भंगी जैसे नाटक भी रचे।

इसके साथ ही राज्यपाल रहते उन्होंने मनोरम अरुणाचल पूर्वोत्तर भारत के राज्य, झोपड़ी से राजभवन आदि उल्लेखनीय कृतियां लिखी हैं। सादगी की प्रतिमूर्ति रहे माता प्रसाद ने उन राजनेताओं को आईना दिखाया है, जो आज के दौर में एक बार विधायक या मंत्री बनते ही गाड़ी बंगले और धन संपदा के फेर में लग जाते है, वहीं पांच बार विधायक, दो बार एमएलसी, उत्तर प्रदेश के राजस्व मंत्री और राज्यपाल रहे माता प्रसाद पैदल या रिक्शे पर बैठे बाजार से सामान खरीदते देखे जाते थे, पैदल चलना उनकी आदत थी।

पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद के निधन पर महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यय मंत्री कृपाशंकर सिंह, प्रतापगढ़ के अपना दल के पूर्व सांसद हरिवंश सिंह, प्रदेश के आवास एवं शहरी नियोजन राज्य मंत्री गिरीश चंद यादव सहित अनेक गणमान्य लोगों ने शोक संवेदना दिए प्रकट की है।

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