बरेली: रामगंगा नगर से मोटी कमाई करने के बावजूद सुविधाओं पर नहीं हो रहा खर्च
बरेली, अमृत विचार। बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) रामगंगानगर आवासीय परियोजना में 32 हजार प्रति वर्गमीटर तक महंगे प्लॉटों की बिक्री कर रहा है। इस वित्तीय साल में भी बीडीए को इस कॉलोनी के तमाम सेक्टरों के भूखंडों की बिक्री से करीब डेढ़ अरब का फायदा हुआ है लेकिन मोटी आमदनी होने के बावजूद यहां न …
बरेली, अमृत विचार। बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) रामगंगानगर आवासीय परियोजना में 32 हजार प्रति वर्गमीटर तक महंगे प्लॉटों की बिक्री कर रहा है। इस वित्तीय साल में भी बीडीए को इस कॉलोनी के तमाम सेक्टरों के भूखंडों की बिक्री से करीब डेढ़ अरब का फायदा हुआ है लेकिन मोटी आमदनी होने के बावजूद यहां न तो सफाई व्यवस्था के कोई इंतजाम किए हैं और न ही ड्रेनेज सिस्टम के। इस वजह से यहां कई साल से रह रहे लोगों को काफी परेशानी हो रही है। आवंटियों का कहना है कि बीडीए को सफाई व्यवस्था के समुचित इंतजाम करने चाहिए।
बीडीए ने वर्ष 2004 में कई एकड़ भूमि पर रामगंगानगर आवासीय परियोजना की शुरूआत की थी। लंबे समय से यह परियोजना ठप पड़ी रही लेकिन पिछले दो-तीन साल के दौरान यहां भूमि आवंटियों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हो रही है। इससे प्रेरित होकर बीडीए यहां कई बड़ी सड़कों के काम भी करा रहा है। रामगंगानगर में प्लॉटों की मांग काफी बढ़ने के बाद बीडीए ने यहां कई गेटबंद कॉलोनियों को विकसित करना शुरू कर दिया है।
इन कॉलोनियों में बीडीए 32 हजार रुपये प्रति वर्गमीटर तक जमीनों की बिक्री कर रहा है। इसके अलावा इस परियोजना की दूसरी सामान्य कॉलोनियों में भी प्लॉट के रेट में इस साल बढ़ोत्तरी करते हुए करीब 20 हजार रुपये प्रति वर्गमीटर तक भूमि की बिक्री की जा रही है। अकेले गेटबंद कॉलोनियों में ही प्लॉटों की बिक्री करने के बाद बीडीए को करीब 140 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। इसी तरह से और भी कॉलोनियों को भी विकसित किया जा रहा है।
इससे भी बीडीए को मोटी आमदनी होने की संभावना है। अब दिक्कत यह है कि बीडीए पहले प्लॉटों और आवासों की बिक्री न होने का रोना रोते हुए रामगंगानगर में कोई काम नहीं कराना चाहता था लेकिन अब अच्छी आय होने के बावजूद यहां तमाम व्यवस्थाओं को लेकर प्राधिकरण के अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं। हालत यह है कि कई सेक्टरों में कूड़ा उठाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। यहां बनी कांशीराम आवासीय कॉलोनियों के पास काफी कूड़ा एकत्र रहता है।
उसे कई-कई दिन न उठाए जाने से लोग उसमें आग लगा देते हैं। जबकि एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के कड़े निर्देश है कि कूड़े को न जलाया जाए। इसके अलावा इस आवासीय कॉलोनियों में ड्रेनेज सिस्टम भी पूरी तरह से फेल है। यहां सेक्टर-सात में बने नाले की भी लंबे समय से सफाई नहीं हुई। कूड़ा भरा होने से नाला चोक है। इस वजह से यहां पानी का बहाव नहीं हो पा रहा है। इसी तरह की तमाम दिक्कत लोगों को झेलनी पड़ रही है। बरसात के मौसम में कई सेक्टरों के लोग जलभराव की दिक्कत झेल रहे हैं। बीडीए के उपाध्यक्ष जोगिंदर सिंह का कहना है कि यहां व्यवस्थाएं धीरे-धीरे सुधारी जा रही है।
ग्रामीण क्षेत्र में आने से कॉलोनी के लोगों को नहीं मिल पा रही सुविधाएं
डोहरा रोड स्थित रामगंगा आवासीय योजना के तहत बीडीए लाखों रुपये का एक प्लाट बेच रहा है। यहां बसाहट को लेकर नए नए प्लान बनाये जा रहे हैं, जिससे लोग आकर्षित भी हो रहे हैं । लोग यहां रहने भी आ रहे हैं लेकिन यहां आने के बाद पता चलता है कि कॉलोनी में कूड़ा निस्तारण को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है। कॉलोनी में जहां-तहां कूड़ा पटा पड़ा है। इससे कॉलोनी की ख़ूबसूरती पर दाग लग रहा है। दिक्कत ये है कि अभी तक बीडीए की कॉलोनी गांव में ही आ रही है। नगर निगम का यहां हस्तक्षेप नहीं है। ऐसे में साफ सफाई को लेकर मोदी का स्वच्छता अभियान भी फेल नजर आ रहा है। कॉलोनी वाले या तो कूड़ा जलाकर एनजीटी के मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं या फिर इधर उधर कूड़ा फेंक रहे हैं।
