मुरादाबाद : जिला अस्पताल में मुर्दे को भी लगा दिया कोरोना का टीका, मचा हड़कंप

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मुरादाबाद, अमृत विचार। सुनने में यह हैरतअंगेज भले ही लगे लेकिन जिला अस्पताल में छह साल पहले मृत व्यक्ति को भी कोरोना का टीका लगा दिया गया। हकीकत पता चलने पर अस्पताल में हड़कंप मच गया। अब इसे तकनीकी गलती बताकर जिम्मेदार पल्ला झाड़ रहे हैं। मामला नागफनी थाना क्षेत्र के बंगलागांव का है। यहां …

मुरादाबाद, अमृत विचार। सुनने में यह हैरतअंगेज भले ही लगे लेकिन जिला अस्पताल में छह साल पहले मृत व्यक्ति को भी कोरोना का टीका लगा दिया गया। हकीकत पता चलने पर अस्पताल में हड़कंप मच गया। अब इसे तकनीकी गलती बताकर जिम्मेदार पल्ला झाड़ रहे हैं।

मामला नागफनी थाना क्षेत्र के बंगलागांव का है। यहां के निवासी कमल कुमार जब जिला अस्पताल के टीकाकरण केंद्र पर कोविड का टीका लगवाने पहुंचे तो पता चला कि जिस आधार नंबर और आईडी से उन्होने पंजीकरण कराया है उसके आधार पर टीकाकरण तो हो चुका है।

जब कमल ने बताया कि मुझे तो टीका लगा ही नहीं तो कंप्यूटर से रिकार्ड चेक किया गया तो पता चला कि उसी आईडी और मोबाइल नंबर पर तीरथ सिंह का नाम दर्ज था। बताया गया कि 16 जुलाई को पहला टीका लगाया गया है और तीन महीने के बाद दूसरी डोज की तारीख भी दी गई है। वैक्सीनेटर का नाम जगवीर सिंह भी कंप्यूटर व जारी प्रमाण पत्र में दर्ज है।

यह सुनकर कमल के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई। वह चौंक गया कि तीरथ सिंह तो उसके पिता हैं, जिनकी छह साल पहले मौत हो चुकी है। हकीकत जानकर जिला अस्पताल में टीकाकरण कर रहे कर्मियों के होश फाख्ता हो गए। उन्होने कमल से यह जानकारी ली कि आनलाइन पंजीकरण कहां से कराया था तो उसने बताया कि कचहरी के पास किसी कंप्यूटर सेंटर से।

कमल की मां को जब यह जानकारी बेटे से मिली तो वह भी चौंक गईं कि ऐसा कैसे हो सकता है जिस पति को दिवंगत हुए छह साल हो गए, उन्हें टीका कैसे लग सकता है। उन्होने अस्पताल प्रशासन से गलती करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने या फिर पति को जीवित करने की मांग की है। वहीं जिला अस्पताल के टीकाकरण प्रभारी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. वीर सिंह ने बताया कि प्रकरण की जानकारी है। किसी मृत व्यक्ति को कोरोना का टीका अस्पताल में नहीं लगा है। यह गलती ऑनलाइन पंजीकरण करने में हुई है।

पंजीकरण कराने वाले कमल ने खुद बताया कि उसने कचहरी या आसपास से कहीं पंजीकरण कराया था। तकनीकी गलती के चलते टीकाकरण का प्रमाण पत्र कंप्यूटर में जारी दिखाया जा रहा है। फिर भी इसकी जांच कराई जाएगी। पीड़ित ने जहां से आनलाइन पंजीकरण कराया है उस केंद्र संचालक को बुलाकर पूछताछ करेंगे। तभी स्पष्ट होगा गलती कैसे और किन परिस्थितियों में हुई है।

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