हल्द्वानी: सावन का पहला सोमवार, देवालयों में गूंजे जयकारे
हल्द्वानी, अमृत विचार। सावन के पहले सोमवार पर हल्द्वानी के देवालय जयकारों से गूंज उठे। नगर के मेन मार्केट स्थित पिपलेश्वर महादेव मंदिर, आरटीओ के पास त्रिमूर्ति मंदिर, काठगोदाम स्थित शीतला देवी मंदिर और जगदंबा नगर स्थित जगदंबा मंदिर में आयोजन किए गए। शिव भक्तों ने भगवान शिव को जल अर्पण कर मनोकामना मांगी। कई …
हल्द्वानी, अमृत विचार। सावन के पहले सोमवार पर हल्द्वानी के देवालय जयकारों से गूंज उठे। नगर के मेन मार्केट स्थित पिपलेश्वर महादेव मंदिर, आरटीओ के पास त्रिमूर्ति मंदिर, काठगोदाम स्थित शीतला देवी मंदिर और जगदंबा नगर स्थित जगदंबा मंदिर में आयोजन किए गए। शिव भक्तों ने भगवान शिव को जल अर्पण कर मनोकामना मांगी। कई भक्तों ने व्रत रखा।
भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद दिलाने वाले श्रावण मास के व्रत सोमवार से शुरू हो गए। ज्योतिषियों के अनुसार भगवान शिव की कृपा दिलाने वाले व्रत को कम से कम 16 सोमवार जरूर रखना चाहिए। सोमवार के व्रत को सावन के पहले सोमवार से शुरू किया जाता है। संस्कृत विश्वविद्यालय के प्राचार्य डॉ. नवीन जोशी ने बताया कि सोमवार के व्रत का उद्यापन श्रावण माह में ही करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, सावन मास के सोमवार में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
हालांकि यह नियम बीमार व्यक्ति, बच्चों और बुजुर्गों पर नहीं लागू होता है। सावन मास में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है। सावन के महीने का शिव भक्तों को हमेशा इंतजार रहता है।
भगवान शिव ही इच्छित फल देने वाले
प्राचार्य डॉ. नवीन जोशी ने बताया कि भगवान शिव ही संसार में इच्छित फल देने वाले हैं। शिव ही गुरु रूप हैं, शिव ही बन्धु हैं। शिव ही समस्त जीवों की आत्मा हैं। भगवान शिव को जलधारा प्रिय है इसीलिए जल चढ़ाने से शिव प्रसन्न होते हैं। शिव महापुराण पुराण के अनुसार शिव के दर्शन करने मात्र से मनोकामना पूर्ण होती हैं।
भगवान शिव को श्रावण मास सबसे प्रिय है श्रावण में भी सोमवार का विशेष महत्व है। इस दिन शिव पूजन करने से मनोकामना पूर्ण होती है। श्रावण में पार्थिव पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। भगवान शिव महाकाल हैं, उनकी आराधना से मृत्यु का भय नहीं रहता है। भगवान शिव आशुतोष हैं, वेदों में शिवतत्व को ही परमतत्व कहा गया है। शिव महादेव हैं, शिव के समान कोई दाता नहीं, शिव से बड़ा कोई देव नहीं। ‘शिवं करोति इति शिव:’ जो कल्याण करें वहीं शिव हैं। उनकी आराधना सबसे सरल है जल विल्वपत्र से पूजन व पंचाक्षर मंत्र ऊं नमः शिवाय का जाप करने से ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं।
सावन के सोमवार
सावन का दूसरा 02 अगस्त, तीसरा 09 अगस्त और चौथा 16 अगस्त को होगा।
