विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर विशेष: मुरादाबाद की माटी में जैविक खेती का गुनगुनाया अफसाना

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मुरादाबाद, अमृत विचार। आमदनी की बेहिसाब आपा-धापी के बीच मुरादाबाद में जैविक खेती की मुहिम छेड़ी गई है। इस संकल्प को जमीन पर उतारने के पीछे अहम उद्देश्य यह है कि किसान का बेटा किसान बनने से घबराए नहीं। इस संकल्प को पूरा करने के लिए राग छेड़ा है सीएल गुप्ता एक्सपोर्ट्स परिवार ने। निर्यातक …

मुरादाबाद, अमृत विचार। आमदनी की बेहिसाब आपा-धापी के बीच मुरादाबाद में जैविक खेती की मुहिम छेड़ी गई है। इस संकल्प को जमीन पर उतारने के पीछे अहम उद्देश्य यह है कि किसान का बेटा किसान बनने से घबराए नहीं। इस संकल्प को पूरा करने के लिए राग छेड़ा है सीएल गुप्ता एक्सपोर्ट्स परिवार ने।

निर्यातक राघव गुप्ता की पत्नी शिखा गुप्ता इस तराने की मुख्य किरदार हैं। उनका हाथ बंटा रही हैं उनकी दोनों बहुएं। पंतनगर विश्वविद्यालय से गृह विज्ञान विषय में स्नातक शिखा गुप्ता की बहू गुंजन गुप्ता और दीप्ति महानगर में जैविक खेती की मुहिम की मददगार हैं। ऐसा करने के पीछे इस परिवार का उद्देश्य है मावन जीवन को स्वस्थ बनाना।

खेती और किसानी से उदास लोगों को नई राह दिखाना। इसीलिए स्नेह प्रोजेक्ट की स्थापना करते हुए उन्होंने जैविक खेती का ताना-बाना बुना है। SNEH अर्थात सैनिटाइजेशन, नेचर, एजुकेशन-एंपावरमेंट एवं हेल्थ। प्रोजेक्ट के संचालकों का दावा है कि इससे वे नई चुनौतियों से निजात पा सकते हैं। खेती, किसानी, बागवानी से अच्छा कारोबार कर सकते हैं।

कड़ी मेहनत कर ढाई सौ लोगों का समूह किया तैयार
प्रोजेक्ट स्नेह की संचालक शिखा गुप्ता कहती हैं कि हमने जैविक कृषि (आर्गेनि फार्मिंग) की योजना बनाई है। यहां 50 एकड़ क्षेत्र में अनुसंघान केंद्र खुलेगा। अंधता और कुपोषण के खिलाफ अभियान संचालन करने वाली शिखा कहतीं है कि बीते साल हमने कुचावली गांव की महिलाओं को इकट्ठा किया।

हालांकि उनमें से कुछ की नकारात्मक प्रतिक्रिया भी मिली। हमने 6 महीने का सिलाई प्रशिक्षण केंद्र संचालित किया। उसमें महिलाओं ने मात्र 2 महीने में ही सिलाई का हुनर सीख लिया। उनका आत्मविश्वास बढ़ा। बाद में हमारी संस्था ने 30 आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लिया। केंद्र की महिलाओं के समझाने से क्षेत्र के 40 किसान जैविक खेती के लिए तैयार हो गए। हमने उन्हें प्रशिक्षण दिलाया। अब हमारे इस अभियान में ढाई सौ महिला-पुरुष साथ हैं।

40 बीघा जमीन पर की जा रही जैविक खेती
वह बताती हैं कि आशियाना क्षेत्र के अलावा गागन क्षेत्र में दूसरा प्रोजेक्ट है। वहां भी 40 बीघे जमीन पर जैविक खेती की जा रही है। मूंगफली उत्पादन की संभावना तलाशी जा रही है। हमें यहां पॉली हाउस बनाना है, जबकि 12 प्रजाति के धान की खेती शुरू कर दी गई है। काला गेहूं भी उगाया जा रहा है।

फार्म हाउस के एक हिस्से में मदर प्लांट प्रोजेक्ट व्यवस्थित कर दिया गया है। उसमें जैविक खेती के बीज और नर्सरी पर रिसर्च जारी है। पर्यावरण संरक्षण भी करेंगे। केले की खेती भी शुरू की है। इसके पौधे की जड़ में दलहन की खेती कर केले का अद्भुत विकास देखा जा चुका है। क्योंकि दलहनी फसलों की जड़ में नाइट्रोजन अधिक होता है, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। शिखा का मानना है कि बड़ा करने के लिए हमें संयम और आत्मविश्वास को पूंजी बनानी होती है।

औषधीय पौधों की सूरत निखारेगा मदर ब्लॉक
उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट के अंतर्गत् मदर ब्लॉक बनाया गया है। इसमें विविध प्रजाति के एलोवेरा रोपे गए हैं। हींग का पौधा, करी पत्ता सहित 67 जड़ी बूटी के पौधे यहां तैयार होने हैं। हल्दी, करैला, अदरक की अनेक प्रजातियां रोपी जा चुकी है। इस परिसर में रासायनिक खादों का प्रयोग रत्ती भर भी नहीं है।

विशेषज्ञों का कहना है कि संभव है कि आरंभ में उत्पादन कम हो, लेकिन उनकी गुणवत्ता और सार्थक प्रभाव के मूल्यांकन के बाद उत्पादक बदल जाएगा। इस ब्लॉक को व्यवस्थित किया जा रहा है। शीत, ताप और देसी खाद से बीज और पौधे की गुणवत्ता का प्रयास जारी है।

(आशुतोष मिश्र)

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