मुक्त व्यापार समझौता भारत-अमेरिकी संबंधों में नया मोर्चा है: यूएसआईबीसी अध्यक्ष

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वाशिंगटन। भारत-अमेरिका संबंधों में एक मुक्त व्यापार समझौता अगला मोर्चा है और यह दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए तर्कसंगत नहीं है कि उनके बीच एक व्यापार संरचना नहीं है, हालांकि इसका रास्ता “हर तरह की बाधाओं” से भरा हुआ है। भारत केंद्रित एक शीर्ष व्यापार वकालत समूह की अध्यक्ष ने ये बातें …

वाशिंगटन। भारत-अमेरिका संबंधों में एक मुक्त व्यापार समझौता अगला मोर्चा है और यह दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए तर्कसंगत नहीं है कि उनके बीच एक व्यापार संरचना नहीं है, हालांकि इसका रास्ता “हर तरह की बाधाओं” से भरा हुआ है। भारत केंद्रित एक शीर्ष व्यापार वकालत समूह की अध्यक्ष ने ये बातें कही हैं।

यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) की अध्यक्ष और पूर्व अमेरिकी राजनयिक निशा देसाई बिस्वाल ने इंडियास्पोरा द्वारा आयोजित एक रात्रिभोज में ये टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा, “समय आ गया है कि हम इस बारे में गंभीर हों कि अमेरिका-भारत संबंधों में अगला मोर्चा क्या है। और न तो अमेरिका के लिए, न ही भारत के लिए, दुनिया की इन दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए टीपीपी (ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप) से बाहर होना तथा उन दोनों के बीच व्यापार संरचना का न होना तर्कसंगत है।”

टीपीपी पैसेफिक रिम (प्रशांत महासागर से लगा भौगोलिक क्षेत्र) के देशों की एक व्यापार पहल है। इसके 11 सदस्यों में ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, जापान, मलेशिया, मेक्सिको, पेरू, सिंगापुर, वियतनाम और न्यूजीलैंड शामिल हैं। निशा ने कहा, “भारत के इसमें रुचि लेने के वास्तविक संकेत दिखने शुरू हो गए हैं जिसकी मदद से हम इसे (अवसर को) तलाशने में सक्षम हो सकते हैं। इसलिए, मुझे लगता है कि गंभीर होने का समय आ गया है। यह आसान नहीं है। यह हर तरह की बाधाओं से भरा रास्ता है।”

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