मिसाल: प्रशासन और सरकार ने नहीं सुनी तो चोपड़ा गांव के युवाओं ने खुद ही खोल दी सड़क
ज्योलीकोट, अमृत विचार। आपदा के बाद भले ही सरकार व अफसर प्रभावितों तक राहत पहुंचाने के दावे कर रहे हों लेकिन आपदा प्रभावित चोपड़ा गांव की हकीकत जुदा है। अभी तक प्रभावितों को सरकारी मदद नहीं मिली है। गांव की सड़क तीन दिन पहले बंद हो गई थी। आपदा के बाद सड़क पर मलबा आ …
ज्योलीकोट, अमृत विचार। आपदा के बाद भले ही सरकार व अफसर प्रभावितों तक राहत पहुंचाने के दावे कर रहे हों लेकिन आपदा प्रभावित चोपड़ा गांव की हकीकत जुदा है। अभी तक प्रभावितों को सरकारी मदद नहीं मिली है। गांव की सड़क तीन दिन पहले बंद हो गई थी। आपदा के बाद सड़क पर मलबा आ गया था। गांव के युवाओं ने जनप्रतिनिधियों से सड़क खुलवाने की मांग की। लेकिन कार्यवाही नहीं हुई। इसके बाद गांव के युवाओं ने एकजुट होकर गांव की सड़क खोलने का जिम्मा उठा लिया। उन्होंने श्रमदान से सड़क से मलबा हटाया और आवाजाही सुचारू की।
गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली सड़क आपदा की वजह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। इसके बाद गांव से लोगों का सड़क तक आना पूरी तरह से बंद हो गया था। इससे गांव के लोग जरूरी सामान तक नहीं खरीद पा रहे थे। गांव के लोगों को डर था कि अगर इस दौरान किसी की तबीयत खराब हो गई तो उसका इलाज कैसे होगा। पहले तो गांव के लोग सड़क को ठीक करने के लिए अधिकारियों की राह तकते रहे। लेकिन आपदा के तीन बाद भी किसी भी अधिकारी ने इस सड़क को ठीक करने की जहमत नहीं उठाई।
स्थानीय लोगों ने जन प्रतिनिधियों से भी संपर्क साधा। लेकिन समस्या का हल नहीं हुआ। इसके बाद यहां के युवाओं ने सरकारी तंत्र को आईना दिखाते हुए स्वयं ही रास्ता ठीक करने का निर्णय लिया। गांव के कई युवाओं के एकजुट प्रयास के बाद शुक्रवार को तीन दिन से बंद रास्ता खुल गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार आपदाग्रस्त लोगों की मदद के लिए केवल हवाई दावे कर रही है। जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सड़क खोलने में ललित जीना, अजय जीना, हरीश जीना, नवल जीना, तेज सिंह जीना, शुभम जीना, गोधन जीना, मनोज शाही आदि युवाओं का प्रयास रहा।
