अमेठी: कार्तिक पूर्णिमा पर आयोजित होगा नन्द महर धाम पर दो दिवसीय मेले का आयोजन

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अमेठी। जिले में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर नन्द महर धाम पर लगने वाले मेले की तैयारियां शुरू हो गयी है। मेले में दूरदराज की लगने वाली दुकानें सजने लगी हैं। जिसमें देश व प्रदेश के विभिन्न जिलों के यादव समाज के साथ सभी वर्गों व धर्मों के श्रद्धालु शामिल होते हैं। जो अपने कुलश्रेष्ठ …

अमेठी। जिले में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर नन्द महर धाम पर लगने वाले मेले की तैयारियां शुरू हो गयी है। मेले में दूरदराज की लगने वाली दुकानें सजने लगी हैं। जिसमें देश व प्रदेश के विभिन्न जिलों के यादव समाज के साथ सभी वर्गों व धर्मों के श्रद्धालु शामिल होते हैं। जो अपने कुलश्रेष्ठ के लगाव में खिंचे चले आते हैं, जो कि श्रीकृष्ण व बलराम की कर्मस्थली के रूप में विख्यात है।

वहीं, अपनी मान्यता पूरी होने पर दूध व झण्डे का चढ़ावा करते हैं। साथ ही प्रशासन के लिये मेले में पेयजल व रात्रि सुरक्षा व्यवस्था सबसे बड़ी समस्या हो सकती है।

बता दें कि जिला मुख्यालय से सोलह किमी दूर गौरीगंज मुसाफिरखाना मार्ग के पास नन्द महर धाम स्थित है। जहां पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर दो दिवसीय मेले का आयोजन होता है। जिसमें हजारों की संख्या में नन्द बाबा धाम पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। मंदिर में अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मत्था टेकते और प्रसाद चढ़ाते हैं। साथ ही मन्दिर से जुड़ी सर्वविदित मान्यता है कि जब कोई गाय व भैंस बच्चे को जन्म देती है, तब उसका दूध चढ़ाने के बाद ही लोग दूध को इस्तेमाल करते हैं। इस धाम पर देश की कई राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर की राजनैतिक हस्तियां आ चुकी है।

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पौराणिक मान्यता है कि महाभारत काल में नन्द महर गांव का साम्राज्य पौंड्रक के हाथ में था। राजा पौंड्रक खुद को वासुदेव बताता था। इस बात की खबर जब वासुदेव को हुई तो वह नाराज होकर भगवान श्रीकृष्ण व बलराम को उनका वध करने को भेज दिया। वध करने के कई दिन गुजर जाने के बाद जब दोनों भाई घर नही पहुंचे, तो नन्द बाबा उन्हें खोजते हुये नन्द महर पहुंच गये और यहां रुककर हवन पूजन किया। उन्हीं की याद में नन्द बाबा का मन्दिर का निर्माण किया गया।

मन्दिर के महन्त भारत नन्द ने बताया कि सैकड़ों वर्षों से मेला लगता चला आ रहा है। यहां पर यदुवंशियों का महाकुंभ लगता है। नन्द महर धाम के आसपास के गांव नरायनपुर, केशवपुर, वसायकपुर व नदियावा समेत कई गांव श्रीकृष्ण के नाम से बसे हुये है। जिससे इस मान्यता को बल मिलता है कि कभी भगवान श्रीकृष्ण का इस स्थान पर पदार्पण हुआ था। भाजपा शासन काल में नंद महर धाम को पर्यटक स्थल घोषित किया गया था। पर्यटक स्थल होने का बोर्ड मंदिर की छत पर पड़ा रहने से खराब हो गया। लेकिन पर्यटक स्थल घोषित होने के बावजूद भी शासन-प्रशासन से कोई मदद नहीं मिल रही है।

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