झांसी: मैक्स अस्पताल में शुरू की गई ऑर्थोपेडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट ओपीडी

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झांसी। उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के वैशाली स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने वीरांगना नगरी झांसी में अपनी ऑर्थोपेडिक एंड  ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट ओपीडी सेवाएं देना शुरू कर दिया है। मैक्स अस्पताल के ऑर्थोपेडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर अखिलेश यादव ने सोमवार को यहां पत्रकारों को बताया कि झांसी के मां वैष्णों हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक …

झांसी। उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के वैशाली स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने वीरांगना नगरी झांसी में अपनी ऑर्थोपेडिक एंड  ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट ओपीडी सेवाएं देना शुरू कर दिया है। मैक्स अस्पताल के ऑर्थोपेडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर अखिलेश यादव ने सोमवार को यहां पत्रकारों को बताया कि झांसी के मां वैष्णों हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट ओपीडी सेवाएं देना शुरू कर दिया है।

हर महीने के तीसरे सोमवार बुंदेलखंड के हड्डी से जुड़ी समस्याओं वाले मरीजों को वह अपना परामर्श देंगे। इस मौके पर डॉ यादव ने कहा “ घुटने की समस्या को लेकर आने वाले उन सभी मरीजों की हम सभी प्रकार की जांच कराते हैं, जिन्हें सर्जरी की आवश्यकता होती है। जब मरीजों की जांच सही पाई जाती है तो हम चरणबद्ध तरीके से दोनों घुटनों की सर्जरी (बी/एल टीकेआर) करते हैं। जिसमें दो अलग-अलग सर्जरी के जरिये दोनों घुटनों का प्रत्यारोपण किया जाता है।

इतनी सारी सर्जरी करने के बाद मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि मेरे लिए यह खुशी की बात होती है कि ऐसे मरीज बिना किसी समस्या के अपनी दैनिक गतिविधियों में लौट जाते हैं। मैं घुटने की समस्या से पीड़ित उन सभी मरीजों को बेहतर जीवन पाने के लिए सर्जरी कराने के लिए प्रोत्साहित करता हूं। इससे उनकी अन्य लोगों पर निर्भरता धीरे-धीरे कम होने लगेगी और वे बहुत ज्यादा खुशहाल और स्वतंत्र महसूस करेंगे। उन्होंने बताया कि अधिक उम्र, मोटापा, पूर्व में दुर्घटनाओं के कारण जोड़ों में चोट/जोड़ों के अधिक इस्तेमाल और जोड़ों में विकृति जैसे कारणों से मरीज को टीकेआर कराना पड़ जाता है।

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गंभीर मामलों में जब अन्य उपचार पद्धतियां मरीज की स्थिति सुधारने में विफल हो जाती हैं तो सर्जिकल उपचार किया जाता है। नियमित चिकित्सा उपचार में शामिल है- गतिविधियों में सुधार, दर्दनिवारक दवाइयां और जोड़ों का इंजेक्शन। लेकिन जब इन प्रक्रियाओं से आराम नहीं मिलता है। जोड़ रोजमर्रा के काम करने लायक नहीं रह जाने की स्थिति में या घुटने के जोड़ में अस्थिरता या जोड़ की सक्रियता कम होने की स्थिति में कंसल्टिंग स्पेशलिस्ट से सर्जरी कराने की सिफारिश की जाती है।

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