बरेली: काली मिर्च को महंगाई ने किया लाल, डेढ़ सौ रुपये का उछाल
बरेली, अमृत विचार। कोरोना का असर फिर से व्यापारियों पर पड़ना शुरू हो गया है। देर-सवेर बाजार पर भी यह दिखना शुरू हो जाएगा। जनवरी में नए मसालों की आवक शुरू हो जाती है लेकिन अभी तक व्यापारियों ने इन्हें मंगाने की तैयारी तक नहीं की है। अभी वे फरवरी का इंतजार कर रहे हैं। …
बरेली, अमृत विचार। कोरोना का असर फिर से व्यापारियों पर पड़ना शुरू हो गया है। देर-सवेर बाजार पर भी यह दिखना शुरू हो जाएगा। जनवरी में नए मसालों की आवक शुरू हो जाती है लेकिन अभी तक व्यापारियों ने इन्हें मंगाने की तैयारी तक नहीं की है। अभी वे फरवरी का इंतजार कर रहे हैं।
इधर, कोरोना से बचाव के लिए घरों में बनने वाले काढ़े में इस्तेमाल होने वाले मसालों की कीमत भी आसमान छूने लगी है। काली मिर्च को महंगाई ने इतना लाल कर दिया कि इसके दामों में 150 रुपये का उछाल आ चुका है। बाकी मसालों के भी दाम बढ़ने शुरू हो गए हैं। वहीं, समारोह में मेहमानों की सीमित संख्या का असर कपड़ा व्यापारियों ने अपने ऊपर माना है। मकर संक्राति के बाद शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। विवाह समारोह भी होंगे। ऐसे में कपड़े की खरीदारी ज्यादा न होने की बात कपड़ा व्यापारी कह रहे हैं। इस वजह से उन्होंने अपने आर्डर 50 फीसदी कम कर दिए हैं। आईआईए भी बढ़ते संक्रमण को लेकर चिंतित है। इंडस्ट्री चलते रहने के लिए वह अफसरों के संपर्क में हैं।
बरेली कॉलेज रोड पर बिजली उपकरणों की मंडी है। पंखे, कूलरों का बड़ा व्यवसाय यहीं से होता है लेकिन व्यापारी नया माल मंगाने से डर रहे हैं। उनका पिछला माल ही बिका नहीं है। ठंड से निजात के लिए मंगाए गए गीजर, हीटर इमरसन रॉड ही अभी बचे हैं।
कोरोना की वजह से किराना में जिंसों की खरीदारी रोक दी गई है जो माल खरीद भी रहे हैं वह सोच-विचार कर खरीद रहे हैं। होलसेल व्यापारियों के पास एक से दो माह का स्टॉक रहता है। काली मिर्च का प्रयोग काढ़ा बनाने में ज्यादा होता है, इसके दाम बढ़ने लगे हैं। 15 दिन पहले काली मिर्च का थोक भाव 400 रुपये किलो था। अब यह 560 रुपये चल रहा है। फुटकर में यही काली मिर्च 600 से लेकर 650 रुपये किलो तक बिक रही है। जीरा भी 10 रुपये तेज हुआ है। पहले यह 150 रुपये किलो था जो 160 हो गया। 180 वाला जीरा भी 190 रुपये किलो हो गया। -गुलशन सब्बरवाल, अध्यक्ष, बरेली किराना कमेटी
मसाला भाव (किलो में)
दाल चीनी 250-255
धनिया 92 – 100
लाल मिर्च 110-160
हल्दी 90-98
नोट-इन मसालों के दाम अभी नहीं बढ़े हैं।
लॉकडाउन लगने का डर व्यापारियों में है। इस बार हीटर, इमरसन रॉड, गीजर ही बच गए हैं। कई व्यापारियों के पंखे, कूलर पिछले साल के ही नहीं बिके। माल गोदाम में ही पड़ा है। इस बार कुछ व्यापारियों ने खरीदारी की भी है लेकिन उन्होंने पूरे माल के बजाये कुछ जरूरी उत्पाद ही मंगाए हैं। व्यापारी को सभी टैक्स देने हैं। बिजली का बिल और कर्मचारी का वेतन भी। कोराना में बाजार का समय कम होने पर उसे टैक्स में भी कोई छूट नहीं मिलेगी। उसे सब खर्चे निकालकर अपना व्यवसाय चलाना होता है। -सतीश अग्रवाल, चैयरमेन, प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल
दिल्ली में आज से ही पांच दिन बाजार की वर्किंग के साथ ऑड-इवेन और दो दिन का वीकेंड क्लोजर हो गया है। इसका असर बाजार पर पड़ेगा। ट्रक के मूवमेंट में दिक्कत आएगी। दूसरे राज्यों से भी आने वाले सामान की स्थिति पर असर पड़ेगा। माल महंगे होंगे। जनता पर इसका असर पड़ेगा। पिछली बार सरकार ने इंडस्ट्रीज चलाने की छूट दी थी तब बाजार तो बंद थे लेकिन इंडस्ट्रीज में कर्मचारियों को कोराना गाइड लाइन का पालन करते हुए बुलाया था। संक्रमण बढ़ना चिंतनीय है। हम लोग अफसरों के संपर्क में पिछली बार भी रहे थे। इस बार भी रहेंगे और सुरक्षात्मक उपायों के साथ इंडस्ट्रीज चलाने का प्रयास करेंगे। -सुरेश सुंदरानी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आईआईए
शादी समारोह में लोग नए कपड़े खरीदते हैं लेकिन अब समारोह में लोगों की संख्या सीमित कर दी है। इससे भी असर पड़ा। बाजार में पैसा नहीं होगा तो व्यापारी क्या कर पाएगा। जनवरी से ही गर्मी के कपड़ों का ऑर्डर दे दिया जाता था। यहां से भी व्यापारी नए डिजाइन देखने जाते थे लेकिन इस बार होलसेल रेडीमेड कपड़ा व्यापारियों ने अभी तक कदम नहीं बढ़ाया है। कुछ लोगों ने अपने ऑर्डर तक कम कर दिए हैं। रेडीमेड कपड़ों का माल रुका है। पिछले साल का माल बिक नहीं पाया है। व्यापारियों को डर है कि लॉकडाउन लग गया तो इस बार भी उसे नुकसान उठाना पड़ेगा। कंपनियों ने भी माल का उत्पादन कम कर दिया है। उनका भी डर लॉकडाउन को लेकर है। इसलिए कंपनी भी नकद माल दे रही है। बहुत कम व्यापारी नकद रकम से माल ला पाएंगे। -आशीष मेहरोत्रा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, रेडीमेड होलसेल कपड़ा एसोसिएशन
