नैनीताल: इलाज के नाम पर पशु क्रूरता की याचिका पर मांगा जवाब
नैनीताल अमृत विचार। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में पशुओं के इलाज के नाम पर हो रही क्रूरता के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली संयुक्त खंडपीठ ने फिर से इंडियन वेटनरी काउंसिल, केंद्र सरकार, चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर उत्तराखंड व अन्य को नोटिस …
नैनीताल अमृत विचार। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में पशुओं के इलाज के नाम पर हो रही क्रूरता के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली संयुक्त खंडपीठ ने फिर से इंडियन वेटनरी काउंसिल, केंद्र सरकार, चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर उत्तराखंड व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा है।
मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति संजय मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई। इस मामले में नैनीताल निवासी पशु प्रेमी अनुपम कबड़वाल ने जनहित याचिका दाखिल की थी। जनहित याचिका में उन्होंने कहा कि सरकार ने 21 जनवरी 2008 को एक नोटिफिकेशन जारी कर पशु धन प्रसार अधिकारी को पशुओं के इलाज का जिम्मा सौंपा था।
याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि राज्य में पशुपालकों द्वारा जानवरों का इलाज अनट्रेंड डॉक्टरों से कराया जा रहा है, जिससे पशुधन की हानि होने के साथ ही पशुओं के साथ क्रूरता हो रही है। याचिकाकर्ता ने सरकार के नोटिफिकेशन को निरस्त करने की मांग की है।
याचिकर्ता का यह भी कहना है कि प्रदेश के 80 प्रतिशत पशु केन्द्र व औषधि केंद्र ग्रामीण क्षेत्रो में स्थित है और 90 प्रतिशत पशुधन ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। इन केंद्रों को अनट्रेंड लोगों द्वारा चलाया जा रहा है। इस पर भी रोक लगाई जाय। जबकि आईवीसी की धारा 30 बी में प्रावधान है कि पशुओं का इलाज रजिस्टर्ड वैटनरी प्रैक्टिशनर के द्वारा ही किया जाएगा।
