जौनपुर में 2175 किसान बांस की करेंगे खेती : उपायुक्त मनरेगा भूपेंद्र सिंह
जौनपुर। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के उपायुक्त मनरेगा भूपेंद्र सिंह ने मंगलवार को बताया कि नदियों के किनारे उपयोग विहीन व गांव में बंजर पड़ी भूमि वाले किसानों के दिन भी बदलेंगे। जिले के 07 ब्लॉक में इस श्रकेणी की चिन्हित जमीनों के मालिक 2175 किसानों ने बांस की खेती करने के लिए सहमति …
जौनपुर। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के उपायुक्त मनरेगा भूपेंद्र सिंह ने मंगलवार को बताया कि नदियों के किनारे उपयोग विहीन व गांव में बंजर पड़ी भूमि वाले किसानों के दिन भी बदलेंगे। जिले के 07 ब्लॉक में इस श्रकेणी की चिन्हित जमीनों के मालिक 2175 किसानों ने बांस की खेती करने के लिए सहमति जताई है।
सिंह ने बताया कि नदी के किनारे कटान को रोकने व किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रशासन की ओर से बांस की खेती को विकल्प के रूप में दिया था। इसके तहत खुटहन ब्लाक के चार गांवों के पांच सौ किसानों का चयन किया गया है। बांस उपलब्ध कराने का जिम्मा प्रयागराज की एक फर्म को दिया जाएगा। जल्द ही इस पूरी योजना की विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने की बात कही जा रही है।
उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी मनरेगा को सौंपी गई है। हाल ही में प्राप्त सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कुछ किसान बांस की खेती करने को आगे आए हैं, जिन्हें सूचीबद्ध किया जा रहा है।
मुफ्तीगंज को शामिल किया जाएगा
प्रथम चरण में खुटहन ब्लाक के पिलकिछा, उदपुर दीपी, डीहिया व शेखपुर सुतौली गांव के पांच सौ किसानों को चिह्नित किया गया है। दूसरे चरण में सुजानगंज, बदलापुर, महराजगंज, सिकरारा, डोभी, व मुफ्तीगंज को शामिल किया जाएगा।
किसानों को बांस की उपलब्धता भी मनरेगा के माध्यम से करायी जायेगी। जिसमे असम व जबलपुर के बांस की प्रजातियों को शामिल किया गया है। इस पहल से न सिर्फ बेकार पड़ी भूमि की कीमत अदा हो सकेगी, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर किसानों की दशा भी सुधरेगी।
सिंह ने बताया कि एक हेक्टेयर की खेती में किसानों को दो साल में साढ़े तीन लाख रुपये तक का मुनाफा होगा। यह एक बार लगने के बाद लगातार फायदे का सौदा साबित होगा।
उन्होंने कहा कि मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अनुपम शुक्ल के नेतृत्व में नदियों के किनारे कटान को कम करने की रणनीति बनाई गई है। इसके तहत नदी किनारे की खाली पड़ी भूमि पर बांस की खेती करने का निर्णय लिया गया है, जिससे किसानों की आय बढ़ाई जा सके। किसानों को बांस की खेती कराने की प्रक्रिया अंतिम रूप में हैं। प्रथम चरण में खुटहन ब्लाक को शामिल किया गया है, जिसका दायरा और बढ़ेगा।
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