नैनीताल: वनवासियों को मूलभूत सुविधाएं देने को केंद्रीय पर्यावरणीय सचिव को नोटिस

नैनीताल, अमृत विचार। हाईकोर्ट ने वत्सल फाउंडेशन की सचिव श्वेता मासीवाल की ओर से रामनगर के आमडंडाखत्ता वासियों को बिजली, पेयजल और विद्यालय जैसी मूलभूत सुविधाएं दिलाने के संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश सजंय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने पर्यावरण …
नैनीताल, अमृत विचार। हाईकोर्ट ने वत्सल फाउंडेशन की सचिव श्वेता मासीवाल की ओर से रामनगर के आमडंडाखत्ता वासियों को बिजली, पेयजल और विद्यालय जैसी मूलभूत सुविधाएं दिलाने के संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश सजंय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने पर्यावरण सचिव केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 22 जून तक जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 22 जून को होगी।
मामले में आज कॉर्बेट नेशनल पार्क व बिजली विभाग की तरफ से शपथपत्र पेश किया गया। बिजली विभाग की तरफ से कहा गया कि वे बिजली लगाने को तैयार है लेकिन इसके लिए 14 पेड़ों की लॉपिंग होनी है परन्तु पार्क प्रशासन इसकी अनुमति नहीं दे रहा है। कॉर्बेट नेशनल पार्क की तरफ से कहा कि गया कि इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होगी। याचिकर्ता की तरफ से कहा गया कि उनको मूलभूत अधिकारों से वंचित किया जा रहा है । बिजली की लाइन के लिए कोई पेड़ नहीं काटे जा रहे है।
14 पेड़ों को लॉपिंग की जानी है, इसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति आवश्यक नहीं है। अगर एक हेक्टयर में से 75 पेड़ कट रहे है तो तब केंद्र सरकार सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है। मामले के अनुसार याचिकाकर्ता का कहना है कि आमडंडा क्षेत्र में विद्युतीकरण को लेकर 2015 में धनराशि आवंटित हो गयी थी और संयुक्त निरीक्षण के अनुसार आमडंडा में विद्युतीकरण के लिए एक भी पेड़ नहीं काटा जाना है।
केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार सिर्फ प्रति हेक्टेयर 75 से अधिक पेड़ काटे जाने पर ही वन ग्राम में विद्युतीकरण हेतु केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है लेकिन इस मामले में अधिकारियों की हीला हवाली के कारण 2015 से आज तक विद्युतीकरण नहीं हो पाया है। इसी तरह आमडंडा में पेयजल को लेकर भी वर्ष 2012 से आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। याचिकाकर्ता का कहना था कि आमडंडा खत्ता के ग्रामीण बिजली पानी और शिक्षा के अभाव में कष्टमय जीवन जी रहे हैं और अधिकारियों द्वारा लगातार उनके अधिकारों की अनदेखी की जा रही है।