प्रयागराज: पुलिसकर्मियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में विभागीय कार्यवाही पर अदालत ने लगाई रोक

प्रयागराज: पुलिसकर्मियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में विभागीय कार्यवाही पर अदालत ने लगाई रोक

प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात निरीक्षक, उप निरीक्षक, हेड कांस्टेबिल एवं कांस्टेबलों के विरुद्ध भ्रष्टाचार एवं अन्य आपराधिक मामलों में चल रही विभागीय कार्रवाई पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय ने इन मामलों में विभागीय कार्रवाई पर रोक लगाते हुए प्रदेश सरकार एवं जिलों …

प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात निरीक्षक, उप निरीक्षक, हेड कांस्टेबिल एवं कांस्टेबलों के विरुद्ध भ्रष्टाचार एवं अन्य आपराधिक मामलों में चल रही विभागीय कार्रवाई पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय ने इन मामलों में विभागीय कार्रवाई पर रोक लगाते हुए प्रदेश सरकार एवं जिलों के पुलिस अधिकारियों से 6 सप्ताह में जवाब मांगा है।उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव जोशी एवं न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की पीठ ने पुलिसकर्मियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है।

गौरतलब है कि इन पुलिसकर्मियों ने उच्च अदालत में अलग-अलग याचिकाएं दाखिल कर उनके विरुद्ध चल रही विभागीय कार्यवाही को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। पुलिस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम तथा अन्य कानूनी प्रावधानों के तहत विभिन्न जिलों में दर्ज मामलों में कार्रवाई चल रही है। विभाग के आला अधिकारियों ने भ्रष्टाचार व अन्य आपराधिक मामलों के आधार पर इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ आराेपपत्र दायर कर विभागीय कार्रवाई भी शुरू कर दी है।

याचिकाकर्ता पुलिस अधिकारियों की ओर से अदालत में बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि इन सभी पुलिसकर्मियों को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ पुलिस अधिकारी (दंड एवं अपील) नियमावली 1991 के नियम 14 (1) के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए आरोप पत्र दिया गया है, जो गलत है। गौतम ने कहा कि उक्त विभागीय कार्रवाई पूर्व में दर्ज प्राथमिकी को आधार बनाकर की जा रही है।

साथ ही आपराधिक मामले के आरोप तथा विभागीय कार्रवाई के आरोप एवं साक्ष्य एक समान हैं। ऐसे में इस प्रकार की कार्रवाई कैप्टन एम पाल एंथोनी के मामले में दिये गये उच्चतम न्यायालय के फैसले के विरुद्ध है। पुलिसकर्मियों के एक अन्य अधिवक्ता विजय गौतम ने भी अदालत को बताया कि जब आपराधिक व विभागीय कार्यवाही एक ही आरोपों को लेकर चल रही हो तो विभागीय कार्यवाही आपराधिक कार्यवाही के निस्तारण तक स्थगित रखी जाए।

उन्होंने दलील दी कि यूपी पुलिस रेगुलेशन एक्ट को उच्चतम न्यायालय ने विधिमान्य कानून माना है और स्पष्ट किया है इसका उल्लंघन करने से आदेश अवैध और अमान्य हो जाएंगे। याचिका दाखिल करने वाले इंस्पेक्टर, दरोगा, हेड कांस्टेबल, व कांस्टेबल प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद ,अलीगढ़, कानपुर नगर, बरेली एवं वाराणसी में तैनात हैं।

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