बरेली: केवल धार्मिक स्थल नहीं, क्रांति का केंद्र रही है नौमहला मस्जिद, 273 साल पहले रखी गई थी नींव

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अमृत विचार, बरेली। शहर के बीचो बीच सुभाष मार्केट के नजदीक मौजूद नौमहला मस्जिद की पहचान यूं तो एक धार्मिक स्थल के तौर पर है, मगर हकीकत में किसी जमाने में यह मस्जिद क्रांतिकारियों का ठिकाना हुआ करता था। नवाब खान बहादुर खान की कयादत में 1857 की क्रांति के दौरान नौमहला मस्जिद क्रांति का …

अमृत विचार, बरेली। शहर के बीचो बीच सुभाष मार्केट के नजदीक मौजूद नौमहला मस्जिद की पहचान यूं तो एक धार्मिक स्थल के तौर पर है, मगर हकीकत में किसी जमाने में यह मस्जिद क्रांतिकारियों का ठिकाना हुआ करता था। नवाब खान बहादुर खान की कयादत में 1857 की क्रांति के दौरान नौमहला मस्जिद क्रांति का केंद्र बनी। इस क्रांति के बाद बरेली 11 महीने के लिए आजाद हो गया। इससे पहले इसी मस्जिद में क्रांतिकारी बैठकर अंग्रेजों के खिलाफ योजनाएं बनाते थे। 11 महीने बाद 7 मई 1858 को जब यहां दोबारा यूनियन जैक फहरा रहा था, तब सबसे ज्यादा हिंसा नौमहला में ही हुई।

नौमहला परिसर में ही मौजूद दरगाह नासिर मियां के खादिम सूफी शाने अली कमाल मियां साबरी बताते हैं कि अंग्रेज जानते थे कि नौमहला क्रांतिकारियों की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र है। नकटिया में युद्ध जीतने के बाद जब अंग्रेजी अफसर शहर में दाखिल हुए तो खास तौर से नौमहला को निशाना बनाया गया। इलाके के कई भवनों और मकानों को नष्ट कर दिया गया। केवल नौमहला मस्जिद को ही बाकी छोड़ा गया, लेकिन सैयद इस्माईल शाह अजान देते वक्त शहीद हो गए।

इसके अलावा काफी लूटमार भी की गई। बरेली कालेज इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. जोगा सिंह होठी अपनी किताब नवाब खान बहादुर खान में लिखते हैं कि ब्रिटिश जासूस क्रांति में हिस्सा लेने वालों को पकड़वा रहे थे। कबीर शाह बख्शी, मोहसिन खां, अहसान खां, मुबारक शाह, जाकिर अली को सरेआम फांसी दे दी गई। कहा जाता है कि नौमहला इलाके में एक बड़ी इमारत थी, जिसके अंदर 50 से 60 रुहेला सैनिक अंग्रेजों से संघर्ष के लिए तैयार थे।

93 रेजीमेंट की कंपनी ने इस मकान को घेरकर हमला किया। अंग्रेज अफसर सैनिकों के साथ रायफलें लेकर अंदर दाखिल हुआ। एक के बाद एक क्रांतिकारियों को कत्ल करना शुरू कर दिया। अंग्रेज शहर पर अधिकार कर चुके थे। लूटमार की स्थिति पैदा हो गई थी। लिहाजा, खान बहादुर खान और शोभाराम जैसे उनके दूसरे साथियों को बरेली छोड़ना पड़ा।

1906 में हुआ था मस्जिद का पक्का निर्माण
दरगाह नासिर मियां के खादिम सूफी शाने अली कमाल मियां साबरी नासरी बताते हैं कि 1749 में रुहेला सरदार नवाब हाफिज रहमत खां ने बरेली में अधिकार किया तो उन्होंने नौमहला को बसाया और अपने पीर सैयद मासूम शाह को सौंप दिया। सैयद शाहजी बाबा और मासूम बाबा ने मिलकर नौमहला मस्जिद की नींव रखी थी। इसके बाद 1906 में जब यह इलाका दोबारा आबाद हुआ तो स्थानीय लोगों ने मस्जिद का निर्माण कराया। मस्जिद का मौजूदा भवन भी 1906 में ही बनकर तैयार हुआ था। समय-समय पर इसमें बदलाव होते रहे।

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