बरेली: 54 दिनों तक नहीं गूंजेगी शहनाई

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अमृत विचार, बरेली। इस बार हरिशयनी एकादशी 10 जुलाई को मनाई जाएगी। इस कारण अब शुभ विवाह के मांगलिक आयोजन भी चार माह तक नही होंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानी हरि शयन एकादशी से देवोत्थान एकादशी तक मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। हरि शयन एकादशी के बाद अब 4 नवंबर को …

अमृत विचार, बरेली। इस बार हरिशयनी एकादशी 10 जुलाई को मनाई जाएगी। इस कारण अब शुभ विवाह के मांगलिक आयोजन भी चार माह तक नही होंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानी हरि शयन एकादशी से देवोत्थान एकादशी तक मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। हरि शयन एकादशी के बाद अब 4 नवंबर को कार्तिक शुक्ल देवोत्थान एकादशी के दिन से वैवाहिक आयोजन शुरू होंगे। ज्योतिषाचार्य पं. रमाकांत दीक्षित ने बताया कि हरि शयन एकादशी से श्रीहरि विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा में चले जाते हैं, वे अगले चार माह तक इसी योग में रहते हैं। इस कारण इस अवधि में कोई भी मांगलिक कार्य नही किया जाता है।

सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार श्री हरि की निद्रा अवस्था में अगर कोई मांगलिक कार्य करता है तो उसे अगाध दोष लगते हैं। 4 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के दिन चातुर्मास समाप्त होगा। कार्तिक शुक्ल देवोत्थान एकादशी को श्रीहरि विष्णु के निद्रा से जागने के बाद वैवाहिक कार्य शुरू होंगे। बताया कि पंचांग के अनुसार, 24 नवंबर से 16 दिसंबर तक मांगलिक कार्य होंगे। इस दौरान कुल 12 अलग-अलग तिथियों पर वैवाहिक मुहूर्त हैं। 16 दिसंबर के बाद फिर 14 जनवरी के बाद से ही वैवाहिक मुहूर्त फिर से शुरू होंगे।

चातुर्मास में ब्रज भूमि में आकर कान्हा की सेवा करें
मान्यता के अनुसार चातुर्मास में धरती पर मौजूद सभी तीर्थ स्वयं कान्हा की सेवा करते हैं। इसलिए इन दिनों में ब्रज तीर्थ के दर्शन मात्र से ही सभी तीर्थाें के दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है। चातुर्मास में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इस अवधी में विशेष रूप से तुलसी पूजा का अधिक महत्व है।

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