धर्म जागरण की परम्परा को “सनातन ग्रन्थालय” से जन-जन तक पहुंचा रहा है गुरुकृपा संस्थान: बाल कॄष्ण
गोरखपुर। गुरुकृपा संस्थान कार्यालय दाऊदपुर में धार्मिक ग्रंथों का पुस्तकालय वाचनालय स्वाध्याय केंद्र स्थापित किया गया है। जिसका नामकरण गोरखपुर विश्विद्यालय रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर हर्ष कुमार सिन्हा के मार्गदर्शन में “सनातन ग्रंथालय” रखा गया है। ऐशप्रा समूह के संस्थापक पूर्वांचल के जाने माने समाजसेवी 95 वर्षीय वयोवृद्ध बाल कृष्ण सराफ …
गोरखपुर। गुरुकृपा संस्थान कार्यालय दाऊदपुर में धार्मिक ग्रंथों का पुस्तकालय वाचनालय स्वाध्याय केंद्र स्थापित किया गया है। जिसका नामकरण गोरखपुर विश्विद्यालय रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर हर्ष कुमार सिन्हा के मार्गदर्शन में “सनातन ग्रंथालय” रखा गया है। ऐशप्रा समूह के संस्थापक पूर्वांचल के जाने माने समाजसेवी 95 वर्षीय वयोवृद्ध बाल कृष्ण सराफ ने अपने गोलघर स्थित आवास पर सनातन ग्रन्थालय के योजनाकार गुरुकृपा संस्थान के संस्थापक मंत्री बृजेश राम त्रिपाठी को गीताप्रेस द्वारा मुद्रित व प्रकाशित श्रीमद्भागवत पुराण सहित अनेक ग्रन्थ
भेंट किया।
बतौर मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध समाजसेवी बाल कृष्ण सराफ ने अपने विचार रखते हुए कहा कि गुरूकृपा संस्थान सनातन संस्कृति के धर्म जागरण की परम्परा को सनातन ग्रन्थालय द्वारा जन-जन तक पहुंचा रहा है। शास्त्रों में कलियुग के बढ़ते प्रभाव के बीच हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार की जरूरत बताई गई है। सनातन ही पुरातन है। आमजन के सुविधा के लिए सनातन ग्रंथालय में धार्मिक व आध्यात्मिक पुस्तकों का अनुपम संग्रह किया जा रहा है। जिज्ञासू व सुधी पाठक निःशुल्क ज्ञान की गंगा में डूबकी लगा सकते हैँ।
गुरूकृपा संस्थान के मंत्री व सनातन ग्रंथालय के शिल्पीकार बृजेश राम त्रिपाठी ने कहा कि धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन केंद्र की स्थापना विगत देवोत्थान एकादशी के दिन किया गया था जिसका विस्तार किया जा रहा है। धार्मिक गर्न्थो एवं आध्यात्मिक साहित्य का संग्रह है सनातन ग्रंथालय।
सनातनी हिंदू अनुनायियों को उनकी जरूरत व रूचि के अनुसार विभिन्न धार्मिक गर्न्थो को पढ़ने की व्यवस्था किया गया है। सनातन ग्रन्थालय के सदस्य बनकर किसी एक ग्रंथ को एक सप्ताह तक अध्ययन के लिए अपनी सुविधानुसार घर भी ले जाने की व्यवस्था की गई है। जिज्ञासा समाधान के लिए आपसी विचार विमर्श की भी व्यवस्था की जाएगी। तत्सम्बन्धी विशिष्ट विद्वानों से सम्पर्क किया जा सकता है।
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