उत्तराखंड: बंदर, लंगूर, सूअर के बाद अब पहाड़ के किसानों की परेशानी का सबब बने जंगली खरगोश

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गरमपानी, अमृत विचार। चौतरफा संकट से घिरे किसानों पर जंगली जानवरों की मार भी भारी पड़ने लगी है। बंदर, लंगूर के बाद अब जंगली खरगोश किसानों की उपज को चौपट कर रहे हैं, जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। मार्च में कोरोना संकट के बाद से किसानों को लगातार नुकसान उठाना पड़ …

गरमपानी, अमृत विचार। चौतरफा संकट से घिरे किसानों पर जंगली जानवरों की मार भी भारी पड़ने लगी है। बंदर, लंगूर के बाद अब जंगली खरगोश किसानों की उपज को चौपट कर रहे हैं, जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

मार्च में कोरोना संकट के बाद से किसानों को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। पहले उपज बड़ी मंडियों तक नहीं पहुंच पाने से किसानों को काफी नुकसान हुआ। उपज खेतों में ही सड़ गई। अब बमुश्किल किसानों ने खेतों की ओर रुख किया तो ठीक समय पर इंद्रदेव धोखा दे गए। बारिश ना होने पर तमाम गांवों में सब्जियों की बुवाई ही नहीं हो सकी। कई सिंचाई वाले क्षेत्रों में बमुश्किल हाड़तोड़ मेहनत के बाद उपज हुई भी तो अब जंगली खरगोश उपज को बर्बाद कर दे रहे हैं।

किसानों की मानें तो खरगोश खेतों में गड्ढे कर रहे हैं, वहीं उपज को ऊपरी हिस्से से चट कर जा रहे हैं जिससे उपज खराब हो जा रही है। ग्रामीणों को किसानों को चौतरफा नुकसान होने से किसान मायूस है। कभी जंगली सूअर, बंदर लंगूर तो अब जंगली खरगोश बड़ी मुसीबत बन चुके हैं। किसानों के अनुसार, हाड़तोड़ मेहनत करने के बाद खरगोश रात के वक्त खेती चौपट कर दे रहे हैं। देर रात तक खेतों में पहरा दिए जाने के बावजूद फसल चौपट हो जा रही है।

बेतालघाट ब्लॉक के धनियाकोट, सिमलखा, रतौडा, वर्धो, बजेडी, नैनीचैक तथा ताड़ीखेत ब्लॉक के कोटखुशाल, टूनाकोट मंडलकोट, पातली आदि क्षेत्रों में जंगली खरगोशों का कहर बना हुआ है। काश्तकार हीरा सिंह, बिशन जंतवाल, राम सिंह, दीवान सिंह, नरेंद्र सिंह, दयाल सिंह, विक्रम सिंह, कुबेर सिंह आदि लोगों ने जंगली खरगोश के आतंक से निजात दिलाए जाने की मांग उठाई है। कहा की यही हालात रहे तो किसान खेती छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे।

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