जन्माष्टमी विशेष: श्रीकृष्ण की 16 कलाएं, एक भी आपने सीख लिया तो कर सकते हैं कमाल

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Krishna Janmashtami 2022: भगवान विष्‍णु के सभी अवतारों में से कृष्‍णजी को सर्वश्रेष्‍ठ माना गया है क्‍योंकि उनके पास 16 कलाएं थीं। ये 16 कलाएं मानव जीवन के लिए भी बहुत उपयोगी मानी गई हैं। अगर इन 16 कलाओं में से एक भी आपने अर्जित कर ली तो आपका जीवन भी सफल हो जाएगा। आज और …

Krishna Janmashtami 2022: भगवान विष्‍णु के सभी अवतारों में से कृष्‍णजी को सर्वश्रेष्‍ठ माना गया है क्‍योंकि उनके पास 16 कलाएं थीं। ये 16 कलाएं मानव जीवन के लिए भी बहुत उपयोगी मानी गई हैं। अगर इन 16 कलाओं में से एक भी आपने अर्जित कर ली तो आपका जीवन भी सफल हो जाएगा।

आज और कल कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी देश भर में जोर-शोर से मनाई जाएगी। भगवान कृष्‍ण के जन्‍मोत्‍सव को लेकर मंदिरों और घरों में कई प्रकार के आयोजन होते हैं और भक्‍तजन कान्‍हाजी के जन्‍म की खुशियां मनाते हैं। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के सभी अवतारों में भगवान श्रीकृष्ण श्रेष्ठ अवतार हैं, क्‍योंकि वे 16 कला संपन्‍न अवतार कहलाते हैं।

ऐसा माना जाता है कि बाकी अवतारों में विष्‍णुजी ने कुछ कलाओं के साथ अवतार लिया तो वे संपूर्ण अवतार नहीं कहलाए। कहते हैं कि कृष्‍णजी की अगर इन 16 कलाओं में से एक भी आपने सीख ली तो आप भी अपने जीवन में खास मुकाम हासिल कर सकते हें। तो चलिए जानते हैं कि कौन सी हैं कान्‍हाजी की ये 16 कलाएं।

वाणी सम्मोहन

श्री संपदा
इसका तात्पर्य है कि जिसके पास भी श्री कला या संपदा होगी वह धनी होगा। धनी होने का अर्थ सिर्फ पैसा व पूंजी जोड़ने से नहीं है बल्कि मन वचन कर्म से धनी होना चाहिये। ऐसा व्यक्ति जिसके पास यदि कोई आस लेकर आता है तो वह उसे निराश नहीं लौटने देता। श्री संपदा युक्त व्यक्ति के पास मां लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है। इस कला से संपन्न व्यक्ति समृद्धशाली जीवनयापन करता है।

भू संपदा
इसका अभिप्राय है कि इस कला से युक्त व्यक्ति बड़े भू-भाग का स्वामी हो, या किसी बड़े भू-भाग पर आधिपत्य अर्थात राज करने की क्षमता रखता हो। इस गुण वाले व्यक्ति को भू कला से संपन्न माना जाता है।

कीर्ति संपदा
कीर्ति अर्थात ख्याति जो विश्व प्रसिद्ध हो लोगों के बीच काफी लोकप्रिय, विश्वसनीय माना जाता हो व जन कल्याण कार्यों में पहल करने में हमेशा आगे रहता हो ऐसा व्यक्ति कीर्ति कला या संपदा युक्त माना जाता है।

वाणी सम्मोहन
कुछ लोगों की आवाज़ में एक अलग तरह का सम्मोहन होता है। लोग ना चाहकर भी उनके बोलने के अंदाज की प्रशंसा करते हैं। ऐसे लोग वाणी कला युक्त होते हैं इन पर मां सरस्वती की विशेष कृपा होती है। इन्हें सुनकर क्रोधी भी एकदम शांत हो जाता है। इन्हें सुनकर मन में भक्ति व प्रेम की भावना जाग जाती है।

लीला
इस कला से युक्त व्यक्ति चमत्कारी होता है उसके दर्शनों में एक अलग आनंद मिलता है। श्री हरि की कृपा से कुछ खास शक्ति इन्हें मिलती हैं और इनके व्‍यक्तित्‍व में अलग प्रकार की चमक होती है। ऐसे व्यक्ति जीवन को भगवान का दिया प्रसाद समझकर ही उसे ग्रहण करते हैं और हमेशा खुश रहते हैं।

कांति
कांति वह कला है जिससे चेहरे पर एक अलग नूर पैदा होता है, जिससे देखने मात्र से आप सुध-बुध खोकर उसके हो जाते हैं। यानी उनके रूप सौंदर्य से आप प्रभावित होते हैं। चाहकर भी आपका मन उनकी आभा से हटने का नाम नहीं लेता और आप उन्हें निहारे जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को कांति कला से युक्त माना जा सकता है।

विद्या
विद्या भी एक कला है जिसके पास विद्या होती है उसमें अनेक गुण अपने आप आ जाते हैं विद्या से संपन्न व्यक्ति वेदों का ज्ञाता, संगीत व कला का मर्मज्ञ, युद्ध कला में पारंगत, राजनीति व कूटनीति में माहिर होता है।

विमल
विमल यानी छल-कपट, भेदभाव से रहित निष्पक्ष जिसके मन में किसी भी प्रकार मैल ना हो, कोई दोष न हो, जो आचार-विचार और व्यवहार से निर्मल हो, ऐसे व्यक्तित्व का धनी ही विमल कला युक्त होता है।

उत्कर्षिणि शक्ति
उत्कर्षिणि का अर्थ है प्रेरित करने की क्षमता। जो लोगों को उनके कर्तव्‍यों के प्रति जागृत करे और उन्‍हें प्रेरित करे। जो लोगों को मंजिल पाने के लिए प्रोत्साहित कर सके। किसी विशेष लक्ष्य को भेदने के लिए उचित मार्गदर्शन कर उसे वह लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरित कर सके जिस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने युद्धभूमि में हथियार डाल चुके अर्जुन को गीतोपदेश से प्रेरित किया। ऐसी क्षमता रखने वाला व्यक्ति उत्कर्षिणि शक्ति से संपन्न व्यक्ति माना जाता है।

नीर-क्षीर विवेक
ऐसा ज्ञान रखने वाला व्यक्ति जो अपने ज्ञान से न्यायोचित फैसले लेता हो इस कला से संपन्न माना जा सकता है। ऐसा व्यक्ति विवेकशील तो होता ही है साथ ही वह अपने विवेक से लोगों को सही मार्ग सुझाने में भी सक्षम होता है।

कर्मण्यता
इस तरह के गुणों वाला व्यक्ति सिर्फ उपदेश देने में ही नहीं बल्कि स्वयं भी कर्मठ होता है। इस तरह के व्यक्ति खाली दूसरों को कर्म करने का उपदेश नहीं देते बल्कि स्वयं भी कर्म के सिद्धांत पर ही चलते हैं।

योगशक्ति
योग भी एक कला है। योग का साधारण शब्दों में अर्थ है जोड़ना यहां पर इसका आध्यात्मिक अर्थ आत्मा को परमात्मा से जोड़ने के लिए भी है। ऐसे व्यक्ति बेहद आकर्षक होते हैं और अपनी इस कला से ही वे दूसरों के मन पर राज करते हैं।

सत्य धारणा
कहते हैं सच बहुत कड़वा होता है इसलिए सत्य को धारण करना सबके बस में नहीं होता विरले ही होते हैं जो सत्य का मार्ग अपनाते हैं और किसी भी प्रकार की कठिन से कठिन परिस्थिति में भी सत्य का दामन नहीं छोड़ते। इस कला से संपन्न व्यक्तियों को सत्यवादी कहा जाता है। लोक कल्याण व सांस्कृतिक उत्थान के लिए ये कटु से कटु सत्य भी सबके सामने रखते हैं।

विनय
इसका अभिप्राय है विनयशीलता यानी जिसे अहं का भाव छूता भी न हो। जिसके पास चाहे कितना ही ज्ञान हो, चाहे वह कितना भी धनवान हो, बलवान हो मगर अहंकार उसके पास न फटके। शालीनता से व्यवहार करने वाला व्यक्ति इस कला में पारंगत हो सकता है।

आधिपत्य
आधिपत्य वैसे यह शब्द सुनने में तो शक्ति का सूचक लगता है, लेकिन यह भी एक गुण है। असल में यहां आधिपत्य का तात्पर्य जोर जबरदस्ती से किसी पर अपना अधिकार जमाने से नहीं है परंतु एक ऐसा गुण है जिसमें व्यक्ति का व्यक्तित्व ही ऐसा प्रभावशाली होता है कि लोग स्वयं उसका आधिपत्य स्वीकार कर लें, क्योंकि उन्हें उसके आधिपत्य में सरंक्षण का आभास व सुरक्षा का विश्वास होता है।

अनुग्रह क्षमता
जिसमें अनुग्रह की क्षमता होती है वह हमेशा दूसरों के कल्याण में लगा रहता है, परोपकार के कार्यों को करता रहता है। उनके पास जो भी सहायता के लिये पहुंचता वह अपनी सामर्थ्‍य के अनुसार उक्त व्यक्ति की सहायता भी करते हैं।

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