Ganesha Festival 2022: 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी, जानिए विघ्नहर्ता क्यों कहलाते हैं ‘आदिपूज्य’?
नई दिल्ली। इस बार गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को है। दस दिन का ये उत्सव 9 सितंबर यानी की अनंत चतुर्दशी के दिन खत्म होगा। विध्नहर्ता का त्योहार खासकर के महाराष्ट्र, कर्नाटक, हैदराबाद में मनाया जाता है। बप्पा के उत्सव के लिए क्या बच्चे और क्या बूढ़े, सभी बहुत ज्यादा ही उत्साहित रहते हैं। गणेश …
नई दिल्ली। इस बार गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को है। दस दिन का ये उत्सव 9 सितंबर यानी की अनंत चतुर्दशी के दिन खत्म होगा। विध्नहर्ता का त्योहार खासकर के महाराष्ट्र, कर्नाटक, हैदराबाद में मनाया जाता है। बप्पा के उत्सव के लिए क्या बच्चे और क्या बूढ़े, सभी बहुत ज्यादा ही उत्साहित रहते हैं। गणेश जी को ‘आदिपूज्य’ कहा जाता है, उनकी पूजा सभी भगवानों से पहले होती है। उन्हें प्रथम भगवान का आशीष मिला हुआ है।
दरअसल इसके पीछे एक रोचक किस्सा है। कहा जाता है कि एक बार देवताओं में झगड़ा होने लगा कि किसकी पूजा पहले होनी चाहिए, कोई खुद को श्रेष्ठ बता रहा था तो कोई खुद को बेस्ट, झगड़ा बढ़ता ही जा रहा था कि तभी उधर से नारद मुनि गुजरे, उन्होंने कहा कि आपस में लड़ने का कोई मतलब नहीं है। आप सभी लोग भगवान शिव के पास जाओ, वो ही श्रेष्ठ हैं और वो ही इसका उत्तर देंगे।
नारद मुनि की बात सुनकर सभी देवगातण भोलेनाथ की शरण में पहुंचे तो शिव जी ने कहा कि आप लोग अपनी-अपनी सवारी से पूरे ब्रह्मांमड का चक्कर लगाकर आओ, जो पहले चक्कर लगाकर आएगा वो ही विजयी होगा। ऐसे सुनकर सभी देवतागण अपनी -अपनी सवारी से ब्रह्मांड का चक्कर लगाने के लिए निकल गए लेकिन भगवान श्रीगणेश ने शिव-पार्वती की परिक्रमा शुरू कर दी और सात चक्कर लगाकर शिव-पार्वती के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए।
शिव-पार्वती दोनों ही अपने पुत्र की इस हरकत पर मुस्कुरा रहे थे लेकिन उन्होंने कुछ कहा नहीं, इससे थोड़ी देर बाद ही सारे देवतागण ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर आ गए और सभी परिणाम का इंतजार करने लगे।
तब भगवान शिव ने कहा कि ‘आप सभी काफी होशियार हैं और आप सभी ने ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर अपनी वीरता का परिचय दिया है, इसमें कोई शक नहीं कि आप सभी वीर, पराक्रमी और होशियार हैं लेकिन ‘आदिपूज्य’ होने के हकदार भगवान गणेश हैं।’
इतना सुनते ही सारे देवतागण ने सवाल किया क्यों? तो इस पर शिवशंकर ने कहा कि मां-पिता का दर्जा पूरे ब्रह्मांड में सबसे ऊंचा है। गणेश जी ने पराक्रमी होने के साथ-साथ बुद्धि का भी परिचय दिया और उन्होंने अपने मां-पिता के ही चक्कर लगाकर आशीष मांगा। इसलिए आज से बुद्धि के देवता और ‘आदिपूज्य’ के रूप में वो ही पूजे जाएंगे। सारे देवतागण भोलेनाथ की इस बात से पूरी तरह से संतुष्ट दिखे और उन्होंने तुरंत ही भगवान गणेश का हाथजोड़कर अभिनंदन किया।
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