बरेली: स्कूल संचालक पहले आय-व्यय का ब्योरा दें, तब तय होगी फीस

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बरेली,अमृत विचार। विकास भवन सभागार में शुक्रवार को शुल्क समिति की बैठक बेनतीजा रही। अभिभावकों को उम्मीद थी कि बैठक में स्कूल फीस के मुद्दे पर कोई निष्कर्ष निकलेगा और उन्हें राहत मिलेगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। स्कूलों से एक बार फिर से उनके खर्चे का ब्यौरा मांगा गया। इसके लिए डीएम ने स्कूल …

बरेली,अमृत विचार। विकास भवन सभागार में शुक्रवार को शुल्क समिति की बैठक बेनतीजा रही। अभिभावकों को उम्मीद थी कि बैठक में स्कूल फीस के मुद्दे पर कोई निष्कर्ष निकलेगा और उन्हें राहत मिलेगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। स्कूलों से एक बार फिर से उनके खर्चे का ब्यौरा मांगा गया। इसके लिए डीएम ने स्कूल संचालकों को 10 दिनों का समय दिया है।

बैठक में अभिभावकों की तरफ से पक्ष रखा गया कि कोरोना के संकट काल में दो महीने तक लोगों के काम-धंध बंद रहे। कई की नौकरी चली गईं। ऐसे में अभिभावकों को फीस में राहत मिलनी चाहिए। इस पर स्कूल संचालकों की तरफ से खर्चों की बात कही जाने लगी।

कहा कि फीस कम करने का सीधा असर स्कूलों पर चलेगा। शिक्षकों की फीस, स्कूल की मेंटेनेंस, बिजली का बिल आदि तमाम मदों में मोटा खर्चा आता है। आय के नाम पर उनके पास फीस के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। इस पर अभिभावक संघ के सदस्य ने स्कूलों के आय-व्यय का ब्योरा उजागर करने की बात कही।

स्कूल संचालक की तरफ से पक्ष रखा गया कि स्कूल के खर्चों का ब्योरा देना मुश्किल है। अभिभावक संघ की तरफ से कहा गया कि हमेशा स्कूल संचालक खर्चा बताकर हर साल फीस बढ़ाते आए हैं। लेकिन कभी भी आय-व्यय का ब्योरा नहीं दिया। स्कूल संचालकों के साथ पहले हुई बैठकों में भी कई बार खर्चों का ब्योरा मांगा जा चुका है। लेकिन वो हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर ब्योरा देने के लिए तैयार नहीं होते।

इस पर डीएम नितीश कुमार ने कहा कि स्कूल संचालकों को आय-व्यय का ब्योरा देना होगा। उन्होंने स्कूल संचालकों को 10 दिनों का समय दिया है। 10 दिनों के बाद अब इस बात का पता चलेगा कि कौन सा स्कूल घाटे में चल रहा है और कौन सा स्कूल फायदे में। इसके बाद तय होगा कि स्कूल फीस में कितनी छूट दी जाए।

तब तक के लिए डीएम ने आदेश जारी किया है कि कोई भी स्कूल अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव नहीं बनाए। बैठक के दौरान ही अभिभावक संघ के अध्यक्ष अंकुर सक्सेना ने अभिभावकों की ओर से तीन मुख्य बिंदुओं को रखा। जिस पर डीएम ने सहमति जताई।

अभिभावक संघ ने उठाए तीन मुख्य बिंदु
1- अभिभावक संघ का कहना था कि जिन बच्चों के अभिभावकों के साथ कुछ बुरा हुआ है, तो स्कूलों को उनकी फीस माफ करनी चाहिए।
2- अभिभावकों में से मां और पिता दोनों के अलग-अलग रहने की स्थित में भी स्कूलों को फीस माफ करने पर विचार करना चाहिए।
3- स्कूलों को फिर से तीन बच्चों के साथ एक बच्चे को मुफ्त शिक्षा का प्रावधान शुरू करना चाहिए।

“अभिभावकों की तमाम शिकायतों और मांग के बाद इस वर्ष में हुई समिति की पहली बैठक से उन्हें निराशा हाथ लगी। हम ज़िला शुल्क समिति से स्कूलों से 25 फीसदी छूट के साथ मासिक आधार पर फ़ीस जमा करने, लेट-फ़ीस का प्रावधान ख़त्म करने, पाठ्यक्रम व ड्रेस में बिना तब्दीली के तथा पिछले तीन महीनों में शासन स्तर से पारित हुऐ आदेशों का अक्षरशः पालन कराने की तत्कालिक राहत दिलाने की मांग करते हैं।” -मोहम्मद खालिद जीलानी, पेरेंट्स फोरम कन्वीनर

“अभिभावकों को लगातार गुमराह किया जा रहा है। पिछले कई बैठकों में स्कूलों से उनके खर्चे का ब्यौरा मांगा जा चुका है। लेकिन आज तक किसी ने नहीं दिया। हम अभिभावकों को इस समिति से कोई फायदा नहीं मिला। इसके लिए बेहद कड़े नियम बनाने की जरुरत है।” -संजीव सक्सेना, अभिभावक

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