गेहूं खरीद में मंडल में फिर पिछड़ा बरेली

बरेली, अमृत विचार। गेहूं खरीद बढ़ाने के लिए सरकार ने भले ही 15 दिनों का समय बढ़ाकर अंतिम तिथि 30 जून कर दी थी, लेकिन सिस्टम में बैठे अफसरों की उदासीनता की वजह से किसानों से गेहूं खरीदने में लापरवाह रहे। इससे गेहूं खरीद में बरेली जिला मंडल में फिर फिसड्डी साबित हुआ। खरीद बढ़ाने …

बरेली, अमृत विचार। गेहूं खरीद बढ़ाने के लिए सरकार ने भले ही 15 दिनों का समय बढ़ाकर अंतिम तिथि 30 जून कर दी थी, लेकिन सिस्टम में बैठे अफसरों की उदासीनता की वजह से किसानों से गेहूं खरीदने में लापरवाह रहे। इससे गेहूं खरीद में बरेली जिला मंडल में फिर फिसड्डी साबित हुआ।

खरीद बढ़ाने के लिए जिलास्तरीय अधिकारियों की लगातार मॉनीटरिंग के दावे हवाहवाई साबित हुए। जिले में गेहूं खरीद मात्र 67.62 प्रतिशत हुई। इस हिसाब से मंडल के दूसरे जिलों की तुलना में बरेली तीसरे पायदान पर है। मंडल में प्रथम स्थान पर पीलीभीत रहा, बदायूं दूसरे, बरेली तीसरे और शाहजहांपुर सबसे पीछे रहा।

विपणन वर्ष 2019- 20 मंडल में 570 गेहूं क्रय केंद्र खोले गए थे और 7.35 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत किसानों से गेहूं खरीदने में ज्यादातर क्रय एजेंसियों ने रुचि नहीं दिखाई। शुरू में वे बिचौलियों व राइस मिलरों को फायदा पहुंचाने के लिए गेहूं में नमी प्रतिशत ज्यादा होने व अन्य खामियां बताकर किसानों को टरकाते रहे। बाद में लक्ष्य के सापेक्ष खरीद भी नहीं कर सके।

यह आलम तब था कि जब पिछले महीने खाद्य आयुक्त से लेकर राज्यमंत्री ने जिले में पहुंचकर गेहूं खरीद की समीक्षा की थी और बढ़ाए गए 15 दिन की अवधि में लक्ष्य पूरा नहीं होने पर चेतावनी थी, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी मंडल में बमुश्किल 71.82 प्रतिशत खरीद हो पाई। जिले में गेहूं खरीद 67.62 रही। गेहूं खरीद में पिछड़ने पर अधिकारी लाकडाउन को दोष दे रहे हैं। वहीं समय पर भुगतान न मिलने से किसान ने समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने से परहेज करने की बात कह रहे हैं।

बिचौलियों ने बढ़ा दिया गेहूं का प्रतिशत
जिले के क्रय केंद्रों ने 15 जून तक 98367.22 मीट्रिक टन की खरीद करते हुए 61.10 फीसदी लक्ष्य हासिल किया था, जिसके बाद 15 से 30 जून तक 10494.08 मीट्रिक टन की विभाग द्वारा खरीद पूर्ण कर ली गई। पिछले दिनों की तुलना में खरीद प्रतिशत में 6.52 फीसदी बढ़ोतरी क्रय केंद्रों पर बिचौलियों की सक्रियता को बयां करती है। क्योंकि शुरू में वास्तविक किसानों ने गेहूं बिक्री कर लिया था, जिससे क्रय केंद्रों पर किसानों का पहुंचना बंद हो गया था।