बरेली: हेवी मेटल्स से लीलौर झील में कम हुई प्रवासी पक्षियों की संख्या, जानें वजह

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Published By Vishal Singh
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बरेली कॉलेज की जंतु विज्ञान की पीएचडी छात्रा अमृता सिंह ने झील के तमाम बिंदुओं पर अध्ययन कर सौंपी थीसिस

आंवला क्षेत्र में यक्ष व युधिष्ठिर संवाद की साक्षी लीलौर झील प्रवासी पक्षियों के बसेरे के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन बीते कुछ समय से

बरेली, अमृत विचार आंवला क्षेत्र में यक्ष व युधिष्ठिर संवाद की साक्षी लीलौर झील प्रवासी पक्षियों के बसेरे के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन बीते कुछ समय से प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी की वजह जानने के लिए बरेली कॉलेज के जंतु विज्ञान विभाग की शोध छात्रा की ओर से अध्ययन किया गया तो हैरान करने वाले परिणाम सामने आए। प्रवासी पक्षियों की कमी होने के पीछे झील के जल में पाए जाने वाले हेवी मेटल्स हैं।

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अध्ययन के अनुसार ये हेवी मेटल्स निर्धारित मात्रा से अधिक होने से वनस्पति, जीव व मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। खाने व अंडे देने के लिए प्रवास पर निकले पक्षियों को सुविधा नहीं मिलने पर लीलौर झील में इनकी संख्या कम हो गई।

वर्ष 2022 की पीएचडी की छात्रा अमृता सिंह ने प्रो. राजेंद्र सिंह के निर्देशन में अध्ययन के लिए आंवला क्षेत्र स्थित लीलौर झील समेत प्रदेश की अन्य पांच झीलों पर भी अध्ययन किया। जिसमें पता लगा कि पानी में हेवी मेटल्स जैसे लेड, कोवाल्ट, मरकरी, मैगनीज, मोलिब्डिनम, कैडमियन पाए जाने से पानी में मौजूद छोटे जीवों की मृत्यु हो रही है।

प्रवासी पक्षी भोजन के रूप में इन छोटे जीव व जलीय वनस्पतियों का प्रयोग करते हैं। वहीं, झील का संकुचन होना भी इन पक्षियों की संख्या में कमी करने में प्रमुख कारक है। इसके अलावा अमृता ने अलीगढ़ के स्नेखा झील, कन्नौज की लाख एंड बहोसी झील, गाजियाबाद की हसनपुर झील, आगरा की खेतम झील पर अध्ययन किया।

प्रवासी पक्षियों को तय करनी होती है हजारों कमी की दूरी
विदेशों में सर्दियों की शुरुआत में ही तापमान में गिरावट के चलते बर्फवारी से वहां पर भोजन बर्फ के नीचे दब जाता है। इसके कारण ये पक्षी हजारों किलोमीटर की यात्राकर यहां पहुंचते हैं। लीलौर झील के आसपास के इलाकों में सेवार घास अधिक मात्रा में है, जो इन पक्षियों की पसंदीदा है। इसके अलावा यहां पर कीटों की भरमार है। वहीं, झील में बारिश के बाद पानी का स्तर बढ़ने पर कुछ छोटी मछलियां भी विशेष रूप से मिलती हैं।

लीलौर झील के अलावा भी छह जगह पहुंचते हैं प्रवासी पक्षी
लीलौर झील के इलाके के साथ ही प्रवासी पक्षियों के लिए रामगंगा का इलाका, इफको स्वीमिंगपूल, लालफाटक, चौबारी में पहुंचते हैं। वहीं, कुछ प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां ग्रीन पार्क में बने घरों की छतों पर भी देखने को मिल जाती हैं। यहां सुबह और शाम का नजारा बेहद खूबसूरत होता है।

आस्ट्रेलिया व यूरोप से पहुंचते हैं प्रवासी पक्षी
लीलौर झील के आसपास स्थानीय पक्षी के साथ ही अन्य प्रवासी पक्षी भी दिखते हैं, जो यूरोप,आस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया, थाइलैंड, अफ्रीका से पहुंचते हैं। यहां लगभग 50-55 प्रजातियों के पक्षी देखने को मिलते हैं। वहीं, बरेली की बात करें तो लगभग 75-80 प्रजातियों के पक्षी सर्दियों के दौरान यहां प्रवास पर रहते हैं। अमृता ने बताया कि उनकी शोध में परिजनों का काफी सहयोग रहा है।

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