सुप्रीम कोर्ट ने अफजल खान के मकबरे के पास ध्वस्तीकरण के खिलाफ सुनवाई की बंद

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Published By Moazzam Beg
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के प्राधिकारियों की उन दलीलों पर संज्ञान लेने के बाद एक अंतरिम याचिका पर सुनवाई बंद कर दी कि अफजल खान के मकबरे के आसपास सरकारी जमीन पर कथित अवैध ढांचों को हटाने के लिए चलाया गया ध्वस्तीकरण अभियान पूरा हो गया है। अफजल खान बीजापुर की आदिल शाही वंश का कमांडर था।

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प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने ध्वस्तीकरण अभियान के खिलाफ हजरत मोहम्मद अफजल खान मेमोरियल सोसायटी की अंतरिम याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, अब ध्वस्तीकरण अभियान चलाया गया है अत: जहां तक अंतरिम याचिका (ध्वस्तीकरण को चुनौती देने) का संबंध है तो असल में अब कुछ नहीं बचा है।

बहरहाल, पीठ ने मकबरे में और उसके आसपास अवैध ढांचों को गिराने के लिए कहने वाले बंबई उच्च न्यायालय के दो आदेशों के खिलाफ लंबित सोसायटी की मुख्य अपील का अभी निपटारा नहीं किया। सोसायटी ने दावा किया था कि ध्वस्तीकरण से मकबरे को नुकसान पहुंच सकता है। उच्चतम न्यायालय ने 11 नवंबर को आदिलशाही वंश के सेनापति अफजल खान के मकबरे के आसपास की सरकारी जमीन पर कथित अनधिकृत ढांचों को हटाने के लिए चलाए गए अभियान पर सतारा जिला कलेक्टर और उप वन संरक्षक से रिपोर्ट तलब की थी। 

सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने जिला कलेक्टर और उप वन संरक्षक द्वारा सौंपी गयी रिपोर्टों पर गौर किया और साथ ही ध्वस्तीकरण अभियान की तस्वीरों पर भी संज्ञान लिया। पीठ ने कहा कि ये दिखाती हैं कि वन्य भूमि पर किस हद तक अवैध निर्माण किया गया था। राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एन के कौल ने कहा कि अफजल खान का मकबरा और एक अन्य कब्र को छूआ भी नहीं गया और ये संरक्षित हैं।

कौल ने बताया कि सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनायी गयी दो धर्मशालाओं को ढहा दिया गया है। अफजल खान महाराष्ट्र के सतारा जिले में प्रतापगढ़ किले के पास मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के हाथों मारा गया था और बाद में उसकी याद में एक मकबरा बनाया गया था।

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