विकलांगता को किया पस्त, शूटिंग में जीता सिल्वर मेडल, मेरठ की मूकबधिर गार्गी चौधरी ने यूपी को दिलाया पदक

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Published By Vishal Singh
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मेरठ, अमृत विचार। गार्गी चौधरी ने विकलांगता को पस्त करते हुए मध्यप्रदेश के भोपाल में आयोजित हुई 65वीं राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में सटीक निशाना साधते हुए सिल्वर मेडल पर कब्जा जमाया।

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जन्म से ही ना सुन सकती है ना बोल सकती है गार्गी
रुड़की रोड विवेक विहार के मकान नंबर 101 में रहने वाले एके तरार ने बताया कि उनकी बेटी मूक बधिर है। वह जन्म से ना तो बोल सकती है ना सुन सकती है। बचपन से ही उसे खेलों का शोक था और सबसे अधिक उसे शूटिंग करना पसंद था। उन्होंने बेटी की इस चाह को पूरा किया और द्रोणाचार्य शूटिंग रेंज में कोच विपिन राणा की देखरेख में बेटी को कोचिंग दिलाना शुरू किया।

10 मीटर प्रतियोगिता में सिल्वर पर साधा निशाना
गार्गी चौधरी के पिता एके तरार ने बताया कि यूपी की ओर से गार्गी ने 10 मीटर शूटिंग प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया। सोमवार को आयोजित प्रतियोगिता में गार्गी ने निशाना साधते हुए सिल्वर मेडल प्राप्त किया। यूपी की ओर से गार्गी अकेली थी। गार्गी ने उत्तर प्रदेश के साथ मेरठ का नाम भी रोशन किया। उसकी इस सफलता की जानकारी मिलते ही प‌ूरे परिवार में हर्ष का माहौल है। परिवार ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर बेटी की सफलता की बधाई दी।

बेटी पर है गर्व, अन्य अभिभावक भी ले सीख
एसके तरार ने बताया कि उनकी बेटी भले ही मूक बधिर हो। परंतु, गार्गी ने बेटे से भी बढ़कर उनके लिए कार्य किया है। बेटी की इस सफलता ने उन्हें नई पहचान दी है। उसकी इस सफलता पर उन्हें गर्व है। उन्हें गर्व है कि गार्गी उनकी बेटी है। वह अपनी बेटी को बेटे से भी बढ़कर मानते है और कभी भी उसके मूक बधिर होने की बात को वह अपने जहन में नहीं आने देते। उसकी इस कामयाबी ने अन्य मूक बधिर व विकलांग बच्चों को सीख दी है, जो अपनी इस कमी को बोझ समझते है। साथ ही उन अभिभावकों के लिए भी यह एक बड़ी सीख है, जो इस अधूरेपन के चलते अपने बच्चों को बोझ समझते है। उन्होंने उन अ‌भिभावकों से अपील करते हुए कहा कि उनकी इस कमी को उनके आड़े मत आने दो, बल्कि उनके हुनर को तलाश कर उन्हें आगे बढ़ने का मौका दे।

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